सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए तीन मध्यस्थों की कमेठी बनाई है। इस कमेठी में में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस फकीर मुहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्रीश्री रविशंकर और सीनियर अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल हैं।
कमेटी की अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्लाह करेंगे। तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमेठी की बैठके यूपी के फैजाबाद में होंगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैनल को चार हफ्ते के भीतर अपनी कार्यवाही शुरू करनी होगी और 8 हफ्ते के अंदर अपनी फाइनल रिपोर्ट भी देनी होगी।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले को पूरी तरह से गोपनिय रखा जाए। किसी भी पक्ष की राय लीक न की जाए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केस की गंभीरता को देखते हुए इसकी मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगा दी है।
जाने कौन कमेठी के तीन सदस्य
फकीर मुहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता के लिए बनी कमेटी के चेयरमैन पूर्व जस्टिस फकीर मुहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला होंगे। जबकि श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू इसके सदस्य होंगे। इस कमेटी के सामने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षकार अपनी बातें रखेंगे. इसके बाद ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी जाएगा।
कौन हैं फकीर मुहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला
-पूर्व जस्टिस फकीर मूल रूप से तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में कराईकुडी के रहने वाले हैं।
-खलीफुल्ला का जन्म 23 जुलाई 1951 को हुआ था।
– 20 अगस्त 1975 को अपने वकालत करियर की शुरुआत की।
– श्रम कानून से संबंधित मामलों में सक्रिय वकील रहे थे।
– खलीफुल्ला को पहले मद्रास हाईकोर्ट में स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
– इसके बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
– 2000 में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के तौर नियुक्त हुए।
– 2011 में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बने।
श्रीराम पंचू
अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए बनी कमेटी के दूसरे सदस्य हैं श्रीराम पंचू। श्रीराम पंचू वरिष्ठ वकील हैं। श्रीराम पंचू मध्यस्थता के जरिए केस सुलझाने में माहिर रहे हैं। उन्होंने मध्यस्थता कर केस सुलझाने के लिए द मीडिएशन चैंबर (The Mediation Chambers) नाम की एक कानूनी संस्था भी गठित की है। इस संस्था का काम ही आपसी सुलह के जरिए कोर्ट से बाहर मुद्दों को सुलझाना है।
-श्रीराम पंचू एसोसिएशन ऑफ इंडियन मीडिएटर्स के अध्यक्ष हैं।
– वह बोर्ड ऑफ इंटरनेशनल मीडिएशन इंस्टीट्यूट के बोर्ड में भी शामिल रहे हैं।
-भारत की न्याय व्यवस्था में मध्यस्थता को शामिल करने में उनका अहम योगदान रहा है।
-सुप्रीम कोर्ट ने श्रीराम पंचू को विशिष्ट मध्यस्थ (distinguished mediator) और देश के सबसे पुराने मध्यस्थों में से एक बताया है।
-श्रीराम पंचू देश के कई जटिल और वीवीआईपी मामलों में मध्यस्थता कर चुके हैं।
-असम और नागालैंड के बीच 500 किलोमीटर भूभाग का मामला सुलझाने के लिए उन्हें मध्यस्थ नियुक्त किया था।
– इसके अलावा बंबई में पारसी समुदाय के मामले का निपटारा करने में भी वह मध्यस्थ रह चुके हैं।
श्री श्री रविशंकर
आर्ट्स ऑफ लिविंग के प्रमुख श्री श्री रविशंकर देश के प्रमुख आध्यात्मिक गुरुओं में से एक हैं। इससे पहले भी उन्होंने अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कोशिश की थी, इसके लिए वह अयोध्या भी गए थे और पक्षकारों से मुलाकात की थी।
श्री श्री रविशंकर इससे पहले भी लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं और उन्होंने इस मसले को सुलझाने के लिए एक फॉर्मूला भी पेश किया था। श्री श्री रविशंकर का नाम जैसे ही मध्यस्थ के रूप में सामने आया तो कई पक्षों और बड़े साधु-संतों ने उनका विरोध किया।
– श्री श्री रविशंकर वैदिक साहित्य और भौतिक से पढाई की है।
– उन्होंने 618 स्कूल खुलवाएं हैं, जिनमें से ज्यादातर ग्रामीण और आदीवासी इलाकों में बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से चलाए जा रहे हैं।
– इसके अलावा उन्होंने कई हॉस्पिटल भी खुलवाए हैं और समय-समय पर मेडिकल कैंप भी लगवाते रहते हैं।