जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने अदालत की सुनवाई के लाइव-स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए नियमों का मसौदा जारी किया। इसका मकसद न्याय तक पहुंच, व्यापक पारदर्शिता, समावेशिता लाना है।
मसौदा नियमों में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि स्थानांतरण याचिकाओं समेत वैवाहिक विवाद, यौन अपराधों से संबंधित मामलों, भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत शुरू की गयी सुनवाई, महिलाओं के खिलाफ लैंगिक आधार पर हिंसा से जुड़े मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होगी।
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एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि सुनवाई या किसी हिस्से की लाइव-स्ट्रीमिंग को अनुमति दी जाए या नहीं, इस पर पीठ अंतिम निर्णय करेगी। हालांकि पीठ का फैसला खुली और पारदर्शी न्यायिक प्रक्रिया के सिद्धांतों पर आधारित होगा। विज्ञप्ति के मुताबिक कमेटी ने सभी हितधारकों से मसौदा नियमों के संबंध में जानकारी, प्रतिक्रिया और सुझाव मंगाए हैं।
इसके अलावा समिति ने कहा कि कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए बुनियादी ढांचे को स्थापित करना जरूरी है। मॉडल लाइव स्ट्रीमिंग नियमों के लिए बंबई, दिल्ली, मद्रास और कर्नाटक उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की एक उप-समिति गठित की गयी है। उप-समिति व्यापक विचार-विमर्श करेगी और इस पर गौर करेगी।
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बयान में कहा गया कि इन मॉडल नियमों से अदालती सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए एक संतुलित नियामकीय ढांचा तैयार होगा। मसौदा नियमों में कहा गया कि अदालत कक्ष में कम से कम पांच स्थानों पर कैमरे लगाए जाएंगे, एक पीठ की ओर होगा, दूसरा और तीसरा कैमरा संबंधित वकीलों की तरफ और चौथा कैमरा आरोपी और पांचवां कैमरा गवाह की तरह होगा।
मसौदा नियमों में कहा गया है कि अदालत कक्षों में भीड़ भाड़ कम करने के लिए लाइव-स्ट्रीमिंग देखने को लेकर अदालत परिसर के भीतर एक विशेष कक्ष की व्यवस्था की जा सकती है। इनमें कानून के शोधार्थियों, कर्मचारियों, वादियों, शिक्षाविदों और मीडिया कर्मियों को जाने की अनुमति दी जा सकती है।