जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि कोरोना महामारी के चलते बाल संरक्षण गृहों में रह रहे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने राज्यों को बच्चों की पढ़ाई के लिए किताबें, स्टेशनरी और सभी जरूरी संसाधन मुहैया कराने का आदेश दिया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि कोरोना के कारण जो बच्चे बाल संरक्षण गृहों से वापस परिवार के पास भेजे गए हैं और अगर उन परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो राज्य सरकार जिला बाल संरक्षण समिति की संस्तुति पर उन परिवारों को बच्चे की पढ़ाई के लिए 2,000 रुपये प्रतिमाह देगी। यह रकम सिर्फ बच्चे की पढ़ाई पर खर्च की जाएगी।
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ये आदेश जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने बाल संरक्षण गृहों में रह रहे बच्चों के कल्याण के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान दिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य 22 से 24 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति करें।
छूटी पढ़ाई पूरी कराने के लिए एक्स्ट्रा क्लासेज भी कराई जाएं। इससे पहले मामले में न्याय मित्र (एमाइकस क्यूरी) ने कोर्ट को बताया कि जब कोरोना शुरू हुआ था उस समय 2,27,518 बच्चे बाल संरक्षण गृहों में रह रहे थे। इसमें से 1,45,788 बच्चे परिवारों या संरक्षकों के पास वापस भेज दिए गए।
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कोर्ट ने बाल संरक्षण गृहों और वहां से वापस परिवार के पास भेजे गए बच्चों की पढ़ाई की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कहा कि जिला बाल संरक्षण समिति इस मामले की निगरानी करेगी। साथ ही जिला बाल संरक्षण इकाई बच्चों को मिल रही सुविधाओं के बारे में जिला लीगल सर्विस अथारिटी को सूचित करेगी।
इससे पहले एमाइकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने कोर्ट से कहा कि बाल संरक्षण गृहों में रह रहे बच्चों की समुचित पढ़ाई जारी रहने के बारे में कोर्ट को आदेश देना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। कोर्ट ने इस बारे में एमाइकस क्यूरी की ओर से दिए गए सुझावों को स्वीकार करते हुए ही राज्यों को निर्देश दिए।