न्यूज़ डेस्क
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई बिलकिस बानो को 50 लाख रूपये मुआवजा, नौकरी और रहने के लिए मकान देने का निर्देश गुजरात सरकार को दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को सरकार ने सूचित किया कि इस मामले में संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है।
पीठ को राज्य सरकार के वकील ने सूचित किया कि इन पुलिस अधिकारियों के पेंशन लाभ रोक दिये गये हैं और बंबई उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराये गये आईपीएस अधिकारी की दो रैंक पदावनति कर दी गयी है। बिलकिस बानो ने इससे पहले शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका पर उन्हें पांच लाख मुआवजा देने की राज्य सरकार की पेशकश ठुकराते हुये ऐसा मुआवजा मांगा था जो दूसरों के लिए नजीर बने।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले गुजरात सरकार से कहा था कि बंबई उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराये गये आईपीएस अधिकारी सहित सभी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये। सुप्रीम कोर्ट में आज सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की बेंच ने मुआवजा राशि 10 गुना बढ़ा दिया।
इस मामले में इनको पहले ही मिल चुकी है सजा
गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो बलात्कार कांड और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी जबकि पुलिसकर्मियों और चिकित्सकों सहित सात आरोपियों को बरी कर दिया था।
ये था पूरा मामला
गुजरात दंगों के दौरान बचकर भाग रही बिलकिस और उनके परिवार पर 3 मार्च, 2002 को अहमदाबाद से 250 किमी दूर रंधीकपुर गांव में बिलकीस बानो के परिवार पर भीड़ ने हमला कर दिया था। हथियारों से लैस दंगाइयों ने बिलकिस बानो का गैंगरेप किया। इतना ही नहीं उनकी 2 साल की बच्ची को मार दिया गया।
बिलकिस बानो के परिवार के कुल 14 लोगों को उस दिन मौत के घाट उतार दिया गया था। इंसाफ के लिए बिलकिस ने कई कोर्ट के दरवाजे खटखटाए। अंत में 17 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके हक में यह फैसला सुनाया है।
SC ने केस को मुंबई में किया ट्रांसफर
इस मामले की शुरुआती जांच अहमदाबाद में शुरू हुई। सीबीआई ने 19 अप्रैल 2004 को अपनी चार्जशीट दाखिल की। इसके बाद बिलकिस ने यह आशंका जाहिर की थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई के साक्ष्यों से छेड़छाड़ की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस बानो की मांग पर 6 अगस्त, 2004 में मामले को मुंबई ट्रांसफर कर दिया। यूडी साल्वी की विशेष अदालत ने 21 जनवरी 2008 को दिए अपने फैसले में बिलकीस के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था।