जुबिली पोस्ट ब्यूरो
नई दिल्ली/मुंबई। वित्तीय संकट से गुजर रही जेट एयरवेज और उसके कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है। जेट एयरवेज में हिस्सेदारी के लिए निवेशक कोई उत्सुकता नहीं दिखा रहे। हालात ये है कि जेट एयरवेज में कोई भी निवेशक नियंत्रण वाली हिस्सेदारी यानी 51 फीसदी या ज्यादा नहीं खरीदना चाह रहा।
बदहाल वित्तीय हालात वाली जेट एयरवेज को उभारने की जिम्मेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) पर है। वही जेट एयरवेज के लिए निवेशक ढूंढ रही है। एसबीआई फिलहाल जेट एयरवेज की हिस्सेदारी बेचकर पैसा जुटाना चाहती है, जिससे कंपनी को एक बार फिर चलाया जा सके।
बताया जा रहा है कि जेट एयरवेज को फिर ऑपरेशनल करने के लिए तुरंत 1500 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। जिसे जुटाने के लिए एतिहाद एयरवेज, टीपीजी कैपिटल, इंडिगो पार्टनर जैसी कंपनियों को हिस्सेदारी बेचने की बात की जा रही है लेकिन कोई भी निवेशक जेट में कंट्रोलिंग शेयर लेने से कतरा रहा है।
इसके पीछे कंपनी पर एक अरब डॉलर से ज्यादा की वित्तीय जिम्मेदारियों को भी कारण माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज ने बिगड़ते वित्तीय हालात के चलते 17 अप्रैल से अपना ऑपरेशन बंद कर दिया है। जिसके चलते अब जेट एयरवेज के 16 हजार कर्मचारी एवं छह हजार ठेका कर्मचारियों के सामने रोजी- रोटी का संकट आ गया है।
वैसे ये कर्मचारी अपनी बकाया सैलरी के लिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे सरकार सरकारी बैंकों का पैसा डूबती जेट एयरवेज को दे और इन लोगों को इनका बकाया मिल जाए।