जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। कहते हैं कि सत्ता आज जिसकी है जरूरी नहीं है कल उसकी होगी। राजनीति में एक जैसा समय किसी का नहीं रहा है। कोई भी बड़े से बड़ा नेता हो लेकिन उसका भी बुरा वक्त आता है। बात अगर उत्तर प्रदेश की जाये तो यहां पर सपा और बसपा जैसे दल भले ही शुरुआत में छोटे दल या फिर क्षेत्रीय पार्टी के रूप में जाने जाते हो लेकिन इन दलों के नेताओं ने अपनी लोकप्रियता के बल पर अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलायी है।
बात अगर समाजवादी पार्टी की जाये तो इस पार्टी को मजबूत करने में भले ही मुलायम सिंह यादव का नाम आता है लेकिन इस पार्टी के गठन में पांच लोगों का खास योगदान था। उनमें जनेश्वर मिश्र, शतरुद्र प्रकाश, डॉ सीपी राय, भगवती सिंह व बेनीप्रसाद वर्मा का नाम शामिल था। हालांकि जब समाजवादी पार्टी का गठन हो रहा था तब मुलायम सिंह यादव जेल में थे।
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सपा के गठन के बाद मुलायम सिंह यादव ने अपने तरीके से पार्टी को आगे बढ़ाया लेकिन डॉ सीपी राय उस दौर में मुलायम के साथ खड़े नजर आये लेकिन अखिलेश के दौर में मुलायम परिवार से उनकी खटास जगजाहिर हो चुकी है। दरअसल अखिलेश के बढ़ते कद के आगे शिवपाल यादव हों या फिर डॉ. सीपी राय की लोकप्रियता पहले जैसी नहीं रही।
मुलायम की विरासत का असली हकदार कौन है, इसको लेकर सपा में बहस देखने को मिल चुकी है। शिवपाल से लेकर अन्य नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन मुलायम ने एक झटके में सबको छोड़ अपने बेटे को विरासत सौंप दी जो शायद अन्य नेताओं को अखर रही थी। कहा तो यह भी जाता है कि मुलायम के इस कदम की वजह से पार्टी के अन्य नेता नाराज हो गए और सपा का कुनबा बिखर गया।
हालांकि अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के तीन साल तक मुलायम के चहेतों को कोई खास परेशानी नहीं हुई लेकिन बाद में अखिलेश यादव का दखल पार्टी में ज्यादा देखने को मिला तो इन नेताओं को रास नहीं आ रहा था। ऐसे में इन लोगों ने अखिलेश के खिलाफ मोर्चा खोल डाला।
शिवपाल यादव भी अपने भतीजे से नाराज नज़र आये और उन्होंने देर किये बगैर सपा से किनारा कर लिया और प्रसपा का गठन कर डाला। शिवपाल यादव ने सपा से बगावत कर नई पार्टी बनायी तो डॉ चंद्र प्रकाश राय ने शिवपाल के साथ जाने का फैसला किया। अभी हाल में खबरे आती रही कि शिवपाल बहुत जल्द सपा में दोबारा इंट्री कर लेंगे।
ऐसे में सीपी राय का राजनीतिक भविष्य एक बार फिर खतरे में पड़ता दिख रहा है। दरअसल शिवपाल यादव सपा में क्यों दोबारा जा सकते हैं। इसके पीछे कई कारण है।
शिवपाल यादव का राजनीतिक कद सपा के बगैर कमजोर नजर आ रहा है। हाल में चाचा और भतीजे दोनों ने नजदीकियां देखने को मिली है। शिवपाल ने प्रसपा मीडिया प्रवक्ता की जो टीम घोषित की है। उनमें अखिलेश के चहेतों को जगह दी गई है। इतना ही नहीेंं सीपी राय का नाम हटा दिया गया था।
हालांकि इतना कुछ होने के बावजूद सीपी राय ने कभी इस पर कोई बात नहीं की लेकिन उन्होंने रविवार को एक ट्वीट किया जो सुर्खियों में आ गया है। दअरसल सीपी राय ने ट्वीट कर लिखा कि आज मुलायम सिंह यादव परिवार को अब अलविदा कह रहा हूं।
काफी साथियो ने पूछा की क्या #शिकायत या कष्ट है
मुझे किसी से कोई शिकायत या कष्ट नही है ।
मेरा भी अधिकार है अपनी जिंदगी पर ।#मुलायम_सिंह_यादव जी और उनके पूरे परिवार का आभार करीब 35 साल के साथ के लिए
और शुभकामनायें की सभी स्वस्थ और सुखी रहे ।— Dr C P Rai (@cprai) July 26, 2020
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उनके इस ट्वीट के बाद से ही कई सवाल उठ रहे हैं। सीपी राय से जुबिली पोस्ट ने खास बातचीत की और जानना चाहा कि आखिर इस ट्वीट का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि मैंने एक शख्स को जिंदगी के 35-40 दे दिया क्या ये कम है। सीपी राय ने कहा कि जिंदगी में कोई भी फैसला लेने से पहले हमेशा सोचना चाहिए। उन्होंने इतना जरूर कहा कि राजनीतिक का अगला ठिकाना फिलहाल कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है लेकिन किसी मीडिया ग्रुप को ज्वाइन कर सकते हैं।
आज मुलायम सिंह यादव परिवार को अब अलविदा कह रहा हूँ ।
— Dr C P Rai (@cprai) July 26, 2020
सीपी राय का जो दर्द है वो फेसबुक पर देखा जा सकता है। उन्होंने फेसबुक पर कुछ देर पहले लिखा है कि मुलायम सिंह यादव परिवार को अब अलविदा कह रहा हूँ।
लखनऊ आया हूँ घर खाली करने और कल तक फर्नीचर बेच दूंगा और वापस चला जाऊंगा । इसी के साथ इस परिवार को भी अलविदा कह रहा हूँ ।
और किसी को विदा करते वक्त कोई कड़वी बात नही ।
इससे पहले मुलायम सिंह यादव के साथ एक फोटो शेयर कर लिखा है कि एल्बम पलट रहा हूँ जला देने के लिए ।
पार्टी के सम्मेलन मे मुलायम सिंह यादव जी से कुछ गम्भीर मुद्दो पर बातचीत ।
पीछे सिचाई मंत्री बाबूराम यादव जी भी दिख रहे है ।
इस दौरान सीपी राय ने अखिलेश को लेकर एक तस्वीर साझा की और लिखा है कि एल्बम पलट रहा हूँ जला देने के लिए ।
जब बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अचानक मेरे घर आ गए थे उस वक्त के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव।
आज की विचारहीन होती जा रही राजनीति में अगर सही मूल्यांकन किया जाए तो समाजवाद के विश्वविद्यालय कहे जाने वाले डॉ सीपी राय का ये योगदान समूची राजनीति के लिए बहुत विशिष्ट माना जाएगा|
उनकी एक खासियत यह भी है कि वे पार्टी के निर्णयों से असहमत होते हैं, तो वे उसे भी जाहिर करने से पीछे नहीं हटते| यही कारण है कि मुलायम सिंह यादव ने भी उन्हें हमेशा एक विशिष्ट सम्मान दिया है जो कि कई बड़े पदों पर आसीन नेताओं को भी नहीं मिलता, राजनीति में आरंभ से ही मुलायम सिंह यादव से जुड़ जाने के कारण वो उनके हर उतार-चढाव के साक्षी और साथी रहे हैं|
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सवाल यह है कि किसी दौर में मुलायम के खासमखास रहे डॉ सीपी राय इतने क्यों खफा हो गए कि उन्होंने अपना ये दर्द सोशल मीडिया पर साझा किया है। ये बात भी किसी से छुपी नहीं है मुलायम के बाद अखिलेश के साथ उनकी पटरी नहीं खायी और उन्होंने अपना रास्ता अलग चुन लिया।