जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: ऐसा कहा जाता है कि भारत में कमाने वाले तेजी से बढ़ रहे हैं। लोगों की आमदनी बढ़ रही है। प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) भी बढ़ रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि जो भी कमा रहे हैं, उसे खर्च कर रहे हैं, उड़ा रहे हैं। बचत (Saving) में काफी कमी हो गई है। स्थिति यह है कि भारत का घरेलू बचत (Household Saving) 50 साल के निचले स्तर पर आ गया है। यह कहना है हाउसहोल्ड एसेट और लायबिलिटीज पर रिजर्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट (RBI data on Household Assets and Liabilities) सामने आई है।
रिजर्व बैंक के आंकड़े क्या कहते हैं
रिवर्ज बैंक के मुताबिक साल 2022-23 के दौरान नेट हाउसहोल्ड सेविंग गिर कर 5.1 फीसदी रह गई है। जीडीपी के हिसाब से देखें तो इस साल भारत की शुद्ध बचत गिर कर 13.77 लाख करोड़ रुपये रह गई है। यह बीते 50 साल का न्यूनतम स्तर है। इससे एक साल पहले ही यह 7.2 फीसदी थी। इससे यही कयास लगाए जा रहे हैं कि लोगों की आमदनी में भारी कमी आई है। साथ ही कोरोना काल के बाद लोगों के कंजप्शन में भी बढ़ोतरी हुई है। लोग बचाने के बजाए खर्च ज्यादा करने लगे हैं।
बढ़ रही है देनदारी
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से एक चिंताजनक सिगनल भी मिल रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लेागों की फाइनेंशियल लायबिलिटीज (Financial Labilities) तेजी से बढ़ी है। साल 2022-23 में यह तेजी से बढ़ते हुए जीडीपी के 5.8 फीसदी तक पहुंच गई। जबिक एक साल पहले यह महज 3.8 फीसदी ही थी। इसका मतलब है कि लोग कंजप्शन परपस के लिए ज्यादा लोन लेने लगे हैं। चाहे वे घरेलू सामान खरीद रहे हैं या जमीन, मकान, दुकान आदि खरीद रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आजादी के बाद यह दूसरा मौका है जबकि लोगों की फाइनेंसियल लायबिलिटीज इतनी तेजी से बढ़ी हैं। इससे पहले साल 2006-07 में यह दर 6.7 फीसदी थी।
घट रहा है हाउसहोल्ड एसेट
आरबीआई के मुताबिक अबसोल्यूट टर्म में देखा जाए तो साल 2020-21 के मुकाबले 2022-23 के दौरान नेट हाउसहोल्ड एसेट में भारी गिरावट हुई है। साल 2020-21 के दौरान शुद्ध घरेलू संपत्ति 22.8 लाख करोड़ रुपये की थी जो कि साल साल 2021-22 में तेजी से घटते हुए 16.96 लाख करोड़ रुपये तक गिर गई। साल 2022-23 में तो यह और घट कर 13.76 लाख करोड़ रुपये ही रह गई। इसके उलट फाइनेंशियल लायबिलिटीज की बात करें तो हाउसहोल्ड डेट या कर्ज बढ़ोतरी ही हो रही है। साल 2021-22 में यह जीडीपी के 36.9 फीसदी थी जो कि साल 2022-23 में बढ़ कर 37.6 फीसदी तक पहुंच गई।
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इसके पीछे क्या है कारण
इस रिपोर्ट पर गौर करें तो बचत घटने और कर्ज बढ़ने के पीछे बढ़ती महंगाई का बड़ा हाथ है। रिजर्व बैंक ने जो हाउसहोल्ड एसेट और लायबिलिटीज के आंकड़े जारी किए हैं, वह अर्थव्यवस्था की तत्काल विकास क्षमता immediate growth potential के बारे में चिंता पैदा करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्राइवेट कंजप्शन या निजी उपभोग से ग्रोथ को मिलने वाला समर्थन अनुमान से कमज़ोर हो सकता है, भले ही निजी पूंजीगत व्यय चक्र में देरी होती दिख रही हो।