- दो महीनों में दिखे समाज के तीन रूप
राजीव ओझा
संसद का काम है कानून बनाना सो उसने संविधान सम्मत प्रक्रिया अपना कर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) बनाया। कुछ को यह पक्षपातपूर्ण लगा। लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। कानून में खामी है या नहीं, इसका फैसला अदालत करती उसके पहले ही कुछ लोग विरोध में और कुछ समर्थन में आमने सामने आ गये। कुछ लोग राजनीति तो कुछ सड़क पर हथियार लेकर खुद ही फैसला करने लगे।
दो महीनों में ही हमने समाज के तीन रूप देख लिए- द गुड, द बैड एंड द अगली। एक रूप था- जान जोखिम में डाल कर अपने पड़ोसियों को बचाने वाले लोगों का, दूसरा रूप था अपने पड़ोसी का घर फूंक कर ताली पीटने वालों का, और तीसरा रूप था दुकानों और घरों को जलता देख दूर से तमाशा देखने वालों का। एक तरफ हम बालाकोट पर एक्शन की वर्षगाठ मना रहे थे, विंग कमांडर अभिनन्दन पर गर्व कर रहे थे तो दूसरी ओर विंग कमांडर अभिनंदन जैसा दिखने वाला एक हेड कांस्टेबल रतन लाल ड्यूटी करते समय गोली का शिकार हो गया।
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ड्यूटी से लौट रहे इंटेलिजेंस के अंकित शर्मा की लाश भी अगले दिन नाले में मिली। इस तरह के कायराना कृत्य में जीत किसी की नहीं होती लेकिन हारते हमसब हैं। इसमें किसी एक का दोष नहीं, धृतराष्ट्र तो अनेक हैं जो दूसरों को दोषी ठहरा रहे।
CAA पक्षपातपूर्ण है या नहीं इसका निर्धारण होने के पहले ही यूपी में पिछले साल दिसंबर में करीब दो दर्जन और अब दिल्ली में करीब तीन दर्जन मतों को मिला कर 50 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। दो पुलिस वाले मार दिए गए, कई दो पुलिस अधिकारी समेत कई पत्रकार भी घायल हैं। मरने वाले हिन्दू भी थे और मुसलमान भी, लेकिन सब इंसान थे।
पुलिस तुरंत एक्शन लेती है तो गलत और नहीं लेती तो गलत, ऐसे में पुलिस क्या करे ?
हालत बिगड़ने पर अदालत को आधी रात को सुनवाई करनी पड़ती है लेकिन हालात उन्ही मुद्दों को लेकर बिगड़ते हैं जिनकी सुनवाई के लिए आगे की डेट दे दी गई होती है। भले ही जज का तबादला उनके प्रमोशन के मद्दे नजर किया गया हो लेकिन टाइमिंग को लेकर सवाल तो उठते ही हैं।
समाज अल्पसंख्यक क्या बहुसंख्यक में बटने लगा है। कहने को तो बवाल और हिंसा के केंद्र वो इलाके थे जहाँ सम्प्रदाय विशेष की आबादी अधिक थी, लेकिन इसका असर पूरे समाज पर नहीं पड़ रहा क्या ? इससे प्रतिदिन 100 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार प्रभावित हो रहा है। अनुमान है कि अभी तक 600 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
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जाफराबाद, सीलमपुर में भड़की हिंसा की वजह से वहां सभी फैक्ट्रियां बंद हैं। मौजपुर, गोकलपुरी, करावल नगर में सबसे अधिक कारीगर रहते हैं। मार्च में होली है और मई में ईद, लेकिन उत्पादन ठप होने और काम न मिलने से तो होली और ईद दोनों ख़राब होने का का खतरा है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक दिन में तीन बार सुनवाई की। भड़काऊ भाषण देने वाले सभी लोगों पर एफआईआर दर्ज करने को कहा। कहा जाता है “जस्टिस डिलेड जस्टिस डिनाइड” लेकिन यहाँ तो विलम्ब से निर्दोष भी चपेट में आ गये।
संशोधित नागरिकता कानून(सीएए) का विरोध और प्रदर्शन लोकतान्त्रिक अधिकार है लेकिन इससे दूसरे प्रभावित हो रहे तो यह लोकतांत्रिक अधिकार कैसे रह गया ? CAA के विरोध में 15 दिसंबर से शाहीनबाग़ में रोड रोक कर धरना शुरू हुआ और अभी तक जारी है लेकिन जफराबाद का रोड जाम तीन दिन में ख़त्म करा दिया पुलिस ने। -सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग़ पर अगले सुनवाई 23 मार्च को होनी है। लेकिन शाहीन बाग़ में धरना अभी चल रहा है, धरना खत्म हो या न हो, जान-माल की बहुत हानि हो चुकी है।
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इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आये। ट्रंप अक्सर कूटनीतिक जवाब देते हैं लेकिन जब वो कहते हैं कि भारत में सबसे अधिक धार्मिक आजादी है, तो वो सच बोल रहे होते हैं।
इन सब सवालों और जवाब के बीच हिन्दू-मुसलमान के पूर्वाग्रह से ऊपर उठ कर सोचना होगा, नफरत के सपोलों को जन्म के समय ही कुचलना होगा। वर्ना नफरत की आग में सब झुलसेंगे, क्या हिन्दू क्या मुसलमान।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)