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दुबई। इस हफ्ते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का सऊदी अरब में वहां जोरदार स्वागत किया गया। उन्हें 12 बंदूकों की सलामी दी गई। समारोह में किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सउद और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन- सलमान भी शामिल थे।
उत्तरी सीरिया में कुर्दों को उनके हाल पर छोड़ने के बाद सऊदी अरब ने रूस के साथ कई द्विपक्षीय समझौते किए और क्षेत्रीय स्थिति की समीक्षा भी की गई। अब चर्चा ये है कि क्या सऊदी अरब और रूस करीब आ रहे हैं और इसकी वजह क्या है ?
दरअसल शीत युद्ध के दौरान सऊदी अरब के बेहद गंभीर माने जाने वाले कुछ लोग रूसी नेताओं को ‘गॉडलेस कम्युनिस्ट’ कहा करते थे। तब यह अकल्पनीय था कि किसी रूसी नेता का सऊदी अरब में तहे दिल से स्वागत होता लेकिन चीजें अब बहुत बदल चुकी हैं और पुतिन का सऊदी में स्वागत इसका सबूत है।
राष्ट्रपति पुतिन अपने 12 वर्षों के कार्यकाल में पहली बार सऊदी अरब गए। यह दौरा जितना अभूतपूर्व था उतना ही बहुप्रचारित भी। उनके साथ व्यापार, सुरक्षा और रक्षा अधिकारियों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल गया था, जिसने वहां 2 अरब डॉलर के द्विपक्षीय सौदे किए और इस दौरान 20 से भी अधिक समझौतों की घोषणा की गई।
सऊदी अरब ने रूस को 14 सितंबर को सरकारी तेल कंपनी अरामको पर हुए ड्रोन हमलों में चल रही अंतरराष्ट्रीय जांच में भी शामिल होने का न्योता दिया।
रक्षा मामलों में रूस की एयर डिफेंस मिसाइल एस- 400 की खरीद और भविष्य में उसकी तैनाती पर भी संभावित चर्चा हुई जो कि अमेरिका के लिए खतरे की घंटी है और एक राजनयिक झटके के समान है।
जब 2017 में तुर्की ने रूस से एस- 400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम खरीदने का सौदा किया था तो अमेरिका ने कहा था कि यदि तुर्की ऐसा करता है तो वो एफ- 35 युद्धक विमान देने के सौदे को रद्द कर देगा। बीते दिनों रूस के साथ अपने सौदे पर तुर्की आगे बढ़ा तो अब अमेरिका ने उसके साथ एफ 35 के सौदे को रद्द कर दिया है।
सऊदी अरब और रूस के बीच जून 2018 से ही द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई है और हाल ही में दोनों के बीच तेल उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने को लेकर हुए सहयोग के बाद तेल की वैश्विक कीमतों में इजाफा हुआ है। व्लादिमीर पुतिन के इस दौरे के दौरान ही रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (RDIF) ने भी निवेश को लेकर घोषणाएं की हैं।