Monday - 28 October 2024 - 11:43 PM

तो इसलिए शाही परिवार के दो सदस्यों को बर्खास्त किया गया

जुबिली न्यूज़ डेस्क

सऊदी अरब में शाही परिवार के दो सदस्यों सहित कई अधिकारियों को उनके पद से हटा दिया गया है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा लिए गये एक शाही फैसले में कहा गया कि राजकुमार फ़हाद बिन तुर्की को बर्ख़ास्त कर दिया है। इस फैसले के बाद से ही एक बार फिर उथल पुथल शुरू हो गयी है। राजकुमार फ़हाद बिन सलमान यमन में सऊदी की अगुआई वाले सैन्यबलों के कमांडर थे।

बताया जा रहा है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सरकार में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुहिम तेज कर दी है। फ़हाद बिन तुर्की के साथ ही उनके बेटे अब्दुल अज़ीज़ फ़हाद को भी डिप्टी गवर्नर के पद से हटा दिया गया है।

सऊदी रक्षा मंत्रालय के एक सार्वजनिक आदेश में ऐसा कहा जा रहा है कि शाही परिवार के इन दो सदस्यों ने चार अधिकारियों के साथ मिलकर ‘संदिग्ध आर्थिक लेनदेन’ किया है, जिसके लिए इसकी जांच की जाएगी।

ख़बरों के अनुसार प्रिंस सलमान पिछले 3 सालों से सरकार और शासन में मौजूद अपने विरोधियों को साफ़ करने की मुहिम छेड़े हुए हैं। शाही परिवार के जिन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है इसका असली मक़सद राजकुमार सलमान की सत्ता के रास्ते में खड़ी अड़चनों को हटाना है।

इससे पहले क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ़ के छोटे भाई प्रिंस अहमद बिन अब्दुल अज़ीज़ को गिरफ़्तार किए जाने की ख़बरें भी सामने आ चुकी है। बिन सलमान पर कई स्कैंडल्स और षड्यंत्रों में शामिल होने के आरोप भी लगते रहे हैं जिनमें पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या का मामला अहम है।

बता दें कि सऊदी के पत्रकार और सरकार के मुखर आलोचक रहे खाशोज्जी की इस्तांबुल स्थित सऊदी के वाणिज्य दूतावास में हत्या हुई थी।प्रिंस सलमान की यमन में जारी युद्ध में सरकार समर्थक सैन्य बलों का साथ देने के लिए भी आलोचना होती रही है।

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गौरतलब है कि इससे पहले साल 2017 में शाही परिवार के दर्जनों सदस्यों, मंत्रियों और कारोबारियों को रियाद के रिट्ज़-कार्लटन होटल में हिरासत में लिया गया था। लेकिन बाद में कईयों को रिहा कर दिया गया था। इसके रिहाई के बदले सऊदी सरकार से 106.7 बिलियन डॉलर का समझौता करना पड़ा था।

वहीं जब साल 2016 में 35 वर्षीय क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सत्ता में आये तो उन्होंने रूढ़िवादी सऊदी अरब में प्रगतिशील समझे जाने वाले कई सामाजिक और आर्थिक फ़ैसले लिए। इसके लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना मिली।

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