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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। कई राज्यों के सीएम NPR का विरोध कर रहे हैं। यहां तक की उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ऐलान कर चुके हैं कि, वो ‘नागरिकता-सत्याग्रह’ करेंगे और एनपीआर का फ़ॉर्म नहीं भरेंगे।
’नागरिकता-सत्याग्रह’ करेंगे
एनपीआर का फ़ॉर्म नहीं भरेंगे pic.twitter.com/u864loFJRc— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 30, 2019
वहीं बताया जा रहा है कि, NPR नियम का उल्लंघन करने वाले पर एक हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है। ऐसे में जो लोग सत्याग्रह करने की सोच रहे हैं उन्हें जुर्माना भरना पड़ सकता है।
बता दें कि, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सभी राज्यों को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए अधिसूचना जारी कर दिया है। बता दें कि 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 के दौरान NPR होना है। इस राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में पासपोर्ट नंबर, आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस की जानकारी देना अनिवार्य होगा। जानकारी के मुताबिक अगर किसी भी व्यक्ति के पास इन तीन में से कोई भी डॉक्यूमेंट होंगे तो उन्हें उसकी जानकारी देनी होगी। गौरतलब है कि विरोध की वजह से PAN की जानकारी देने वाले कॉलम को हटा दिया गया है। अब लोगों से पैन कार्ड की जानकारी नहीं मांगी जाएगी।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल और पश्चिम बंगाल ने अपने यहां NPR को रोकने के लिए लेटर लिखा है। एक्ट के तहत अगर कोई भी व्यक्ति सही जानकारी नहीं देता है या जानकारी नहीं देता है तो उस व्यक्ति के ऊपर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
हालांकि किसी व्यक्ति के पास आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड नहीं है तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं देनी होगी, लेकिन अगर ये कागजात हैं तो उन्हें इसे दिखाना होगा।
सभी राज्यों को CAA को लागू करना होगा
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहे राज्यों को भी इसे लागू करना पड़ेगा। संशोधित कानून का विरोध कर रहे केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों के बारे में मेघवाल ने कहा कि सीएए लागू करने के लिये वे संवैधानिक रूप से बाध्य हैं।
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विभिन्न प्रश्नों वाले फार्म को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों और विपक्षी दलों द्वारा जतायी गयी चिंताओं के बीच गृह मंत्रालय ने कहा था रजिस्टर को अद्यतन करने के दौरान कागजात या बायोमेट्रिक जानकारी देने के लिए नहीं कहा जाएगा।
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि एनपीआर कवायद के तहत विभिन्न प्रश्नों वाले फार्म को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कवायद के दौरान कोई भी कागजात देने के लिए नहीं कहा जाएगा और बायोमेट्रिक जानकारी भी नहीं ली जाएगी।
हालांकि, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के मुताबिक एनपीआर डेटाबेस में जनसांख्यिकी के साथ ही बायोमेट्रिक विवरण भी होंगे। इसमें कहा गया कि एनपीआर का लक्ष्य देश में रहने वाले हर निवासी का समग्र डेटाबेस तैयार करना है। डेटाबेस में जनसांख्यिकी के साथ बायोमेट्रिक विवरण भी होंगे।
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संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर देश के विभिन्न हिस्से में विरोध प्रदर्शन के बीच पश्चिम बंगाल और केरल ने एनपीआर को अद्यतन करने का काम फिलहाल रोक दिया है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर राज्यों ने एनपीआर से संबंधित प्रावधानों को अधिसूचित कर दिया है। एनपीआर देश में रहने वाले निवासियों का रजिस्टर है।
नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र) नियम, 2003 के प्रावाधनों तहत यह स्थानीय (गांव/कस्बा) उप जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है।
असम को छोड़कर पूरे देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एनपीआर की कवायद वर्ष 2020 में अप्रैल से सितंबर के बीच पूरी की जानी है। एनपीआर की कवायद के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3941।35 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।