न्यूज डेस्क
बहुत अर्से बाद आज सुबह से सरदार सरोवर बांध चर्चा में है। यह चर्चा में इसलिए है क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज अपने जन्मदिन के मौके पर इस बांध का जायजा लेंगे। भारत के इस सबसे बड़े बांध के निर्माण की कहानी अनोखी है।
सरदार सरोवर बांध भारत के इतिहास की शायद सबसे विवादास्पद परियोजना रही है। इसका सपना भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देखा था, लेकिन कई तकनीकी और कानूनी अड़चनों के चलते ये लटकती रही और आखिरकार 1979 में इसकी घोषणा हुई। विरोध और लंबी मुकदमेबाजी की वजह से इस परियोजना को पूरा करने में काफी वक्त लगा।
सरदार पटेल ने 1945 में इसके लिए पहल की थी। 5 अप्रैल 1961 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी नींव रखी लेकिन तमाम वजहों से यह परियोजना लटका रहा। 1979 में नर्मदा वॉटर डिस्पुट ट्राइब्यूनल ने बांध की ऊंचाई 138.38 मीटर तय की और इसका निर्माण शुरू हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने 1995 मेें लोगों के विस्थापन और पर्यावरण चिंताओं को लेकर इसके निर्माण पर रोक लगा दी। 2000-2001 में शीर्ष अदालत ने इसे बनाने की सशर्त अनुमति दे दी और ऊंचाई को घटाकर 110.64 मीटर करने का आदेश दिया।
हालांकि, 2006 में डैम की ऊंचाई को बढ़ाकर 121.92 मीटर और 2017 में 138.90 मीटर करने की इजाजत मिल गई। इस तरह, सरदार सरोवर डैम को पूरा होने में करीब 56 साल लगे।
17 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बांध को देश को समर्पित किया।
बांध बनाने में खर्च हुए 65 हजार करोड़
सरदार सरोवर डैम देश का सबसे बड़ा बांध है। इसकी ऊंचाई 138 मीटर है। इसका शुरुआती बजट 93 करोड़ रुपये रखा गया था लेकिन इसे बनाने में 65 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए। इसे बनाने में 86.20 लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट का इस्तेमाल हुआ। बांध में कुल 30 दरवाजे हैं और हर दरवाजे का वजन 450 टन है। डैम की वॉटर स्टोरेज कपैसिटी 47.3 लाख क्यूबिक लीटर है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन और मेधा पाटकर
नर्मदा बचाओ आंदोलन तो सभी को याद होगा। जी हां, सरदार सरोवर बांध के विरोध में सबसे बड़ा नर्मदा बचाओ आंदोलन समाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने चलाया। इस आंदोलन में शामिल लोगों का कहना था कि अगर सरदार सरोवर बांध का निर्माण होता है तो कई लोग विस्थापित होंगे और साथ ही इसका पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा था कि बांधों के निर्माण से भूकंप का भी खतरा बना रहेगा। जब आंदोलन व्यापक हुआ तो साल 1993 में उसे बड़ी कामयाबी मिली। विश्व बैंक ने 1993 में सरदार सरोवर परियोजना से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद बांध का काम रोक दिया गया। हालांकि साल 2000 में सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना को हरी झंडी दे दी और रुका हुआ काम फिर शुरू हुआ।
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क्या हैं फायदें
सरदार सरोवर डैम से देश के चार राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को फायदा पहुंचता है। इन राज्यों के सूखा प्रभावित इलाकों के एक बड़े हिस्से की सिंचाई होती है। इससे 18.45 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई का लाभ पहुंचता है।
सिंचाई की बात करें तो इससे सबसे अधिक फायदा गुजरात को है। यहां के 15 जिलों के 3137 गांवों के 18.45 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकती है। बिजली का सबसे अधिक 57 प्रतिशत हिस्सा मध्य प्रदेश को मिला है। महाराष्ट्र को 27 प्रतिशत, जबकि गुजरात को 16 प्रतिशत बिजली मिल रहा है। राजस्थान को सिर्फ पानी मिलेगा।
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