Saturday - 26 October 2024 - 11:28 AM

हिंदुओं के पांच हजार साल पुराने धर्मस्थल शारदा पीठ कॉरिडोर को मिली मंजूरी

न्यूज डेस्क

पाकिस्तान सरकार ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित प्राचीन हिंदू मंदिर एवं सांस्कृतिक स्थल शारदा पीठ पर कॉरिडोर बनाने को मंजूरी दे दी है। अब भारत के हिंदू तीर्थयात्रियों को इस मंदिर में दर्शन का मौका मिल पायेगा। इस बारे में जल्द ही ऐलान किया जा सकता है।शारदा पीठ कॉरिडोर के खुलने के बाद यह पाकिस्तान नियंत्रित क्षेत्र में करतारपुर गलियारे के बाद दूसरा धार्मिक मार्ग होगा जो दोनों पड़ोसी देशों को जोड़ेगा।

कश्मीर के कुपवाड़ा से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित शारदा पीठ हिंदुओं का 5 हजार साल पुराना धर्मस्थल है। जो महाराज अशोक के साम्राज्य में 237 ईसा पूर्व में बनवाया गया था। शारदा पीठ भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वश्रेष्ठ मंदिर विश्वविद्यालयों में से एक हुआ करता था।

18 महाशक्ति पीठों में से एक है शारदा पीठ

श्रीनगर से 130 किलोमीटर दूर स्थित शारदा पीठ देवी के 18 महाशक्ति पीठों में से एक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था। इस मंदिर को ऋषि कश्यप के नाम पर कश्यपपुर के नाम से भी जाना जाता था।

शारदा पीठ में देवी सरस्वती की पूजा होती है। वैदिक काल में इसे शिक्षा का केंद्र भी कहा जाता था। कहा जाता है कि ऋषि पाणीनि ने अपने अष्टाध्यायी की रचना यहीं की थी।

शैव संप्रदाय की शुरुआत करने वाले आदि शंकराचार्य और वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य दोनों ने यहां महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की। शंकराचार्य यहां सर्वज्ञपीठम पर बैठे थे तो रामानुजाचार्य ने यहां ब्रह्म सूत्रों पर अपनी समीक्षा लिखी थी।

कैसे उठी कॉरिडोर की मांग

कश्मीर में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग लंबे समय से इस कॉरिडोर को बनाने की मांग कर रहे थे। 1947 में भारत और पाकिस्तान के बटवारे के बाद हिंदू श्रद्धालुओं को मंदिर में दर्शन करने में परेशानी आने लगी। जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा में रहे राजनीतिक दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) भी इसे लेकर अपनी आवाज उठाती रही है।

2007 में कश्मीरी अध्येता और भारतीय संस्कृति संबंध परिषद के क्षेत्रीय निदेशक प्रोफेसर अयाज रसूल नज्की ने इस मंदिर का दौरा किया था। तब से भारतीय श्रद्धालुओं के दर्शन की अनुमति की मांग उठने लगी। कश्मीरी पंडितों को दर्शन की मंजूरी दिलवाने के लिए बनी शारदा बचाओ कमेटी ने इसके लिए भारत सरकार के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा। जिसमें मांग की गई थी कि मुजफ्फराबाद के रास्ते मंदिर के दर्शन की अनुमति दी जाए।

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