राजीव ओझा
लखनऊ वालों के लिए इस बार का क्रिसमस सही मायने में बड़ा दिन था। बड़ा दिन क्यों न हो जब क्रिसमस पर दो दो सैंटा आ जाएँ । कहाँ तो दोपहर तक सैंटा क्लॉज शहर को एक भी उपहार नहीं दे सका था। लेकिन तभी एक और “सैंटा” आया। जो शहर और प्रदेश के लिए ढेर सारे उपहार लाया था। वह “सैंटा” अटल बिहारी वाजपेई के जन्मदिन पर लखनऊ को उनकी एक विशाल प्रतिमा गिफ्ट कर गया और जाते जाते एक हफ्ते से बंद इंटरनेट को भी दे गया।
“सैंटा” को भरोसा था कि अटल की प्रतिमा लखनऊ वासियों को बार बार अमन और तहजीब की याद दिलाएगी और इंटरनेट बंद करने की नौबत फिर नहीं आयेगी। लखनऊ अटल बिहारी वाजपेई का शहर है, जिसे वह बहुत प्यार करते थे और शहर को भी अटल सबसे अजीज थे। जन्मदिन पर अटल की प्रतिमा से बेहतर कोई गिफ्ट हो ही नहीं सकता।
क्रिसमस पर इंटरनेट शुरू होना किसी उपहार से कम नहीं
क्रिसमस की शाम को ही सही, इंटरनेट शुरू होना शहरवासियों के लिए किसी उपहार से कम न था। जिंगल बेल की घंटियों के साथ लोगों फ़ोन बज उठे। लखनऊ में दो दिन से कड़ाके की ठण्ड है। लेकिन क्रिसमस की शाम मैसेज की जो धुआंधार बारिश शुरू हुई उसने पूरे शहर को गर्मजोशी से भर दिया। सारे गिले शिकवे दूर हो गए।
गिफ्ट मिला, देर से ही सही
वैसे तो क्रिसमस क्रिसमस वीक या ईव से ही सैंटा क्लॉज़ उपहार बांटना शुरू कर देता है। लेकिन इस बार करीब एक हफ्ते से इंटरनेट बंद होने से न तो उपहार बंट रहे थे न ही बधाइयों का आदान प्रदान हो पा रहा था। इसमें सैंटा की कोई गलती नहीं थी। सैंटा क्लाज उपहार बांटना शुरू करता इसके पहले ही कुछ अमन के दुश्मनों की जिन्होंने लखनऊ वासियों को डराकर और भरमा कर तहजीब के शहर को बांटने की नाकाम कोशिश की। लेकिन सैंटा ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी। उसे भरोसा था कि गंगा-जमुनी तहजीब का शहर को कोई नहीं बाँट सकता। और वही हुआ भी।
इंटरनेट तो प्यार बांटने के लिए है
सैंटा ने लोगों को समझया कि इंटरनेट सिर्फ अशांति फैलाने के लिए नहीं होता, सोशल मीडिया पर युद्ध लड़ने के लिए नहीं होता, इंटरनेट सिर्फ टाइमपास के लिए भी नहीं होता। इंटरनेट के कई नकारात्मक पहलू होते हैं जिसके कारण नेट शटडाउन जैसे कड़े कदम उठाने पड़ते हैं लेकिन इससे कहीं महत्वपूर्ण हैं इसके सकारात्मक पहलू। यह हमें भाईचारे और प्यार का सन्देश देता है। यह अब हमारी आर्थिक उन्नति, व्यापार-कारोबार की जरूरत है और समाज के लिए इन्टरनेट अपरिहार्य है। यह बात एक हफ्ते में सब को समझ आ गई है।
इसी लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ के लोकभवन में अटल बिहारी की 25 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण और अटल बिहारी चिकित्सा विश्वविद्यालय का शिलान्यास करते समय जनता को यही सन्देश दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “सैंटा” के रोल में भी थे। उन्होंने नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों से शांति की अपील की और कहा कि उन्हें खुद से सवाल करना चाहिए कि क्या उनका रास्ता सही है? उन्हें खुद से पूछना चाहिए कि क्या ये सार्वजनिक संपत्ति उनके बच्चों के काम न आती? इस तरह अफवाहों पर हिंसा करने से उनका खुद का ही नुकसान है। देश के प्रत्येक नागरिक को बेहतर सार्वजनिक सुविधाएं पाने का हक है लेकिन उनका संरक्षण करना भी उनकी जिम्मेदारी है।
राष्ट्र के विकास के लिए जिस तरह कश्मीर और अयोध्या मामले को सुलझाने में जनता ने साथ दिया उसी तरह घुसपैठियों की चुनौतियों से निपटने में समाज के हर तबके का सहयोग उन्हें मिलेगा। प्रधान मन्य्त्री ने अटल जी को याद करते हुए कहा कि वह चाहते थे की देश के विकास में हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, हर नागरिक का योगदान हो। कुछ लोग भ्रमित करने की कोशिश करते हैं लेकिन लखनऊ की जनता उनके बहकावे में कभी नहीं आयेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)