जुबिली न्यूज डेस्क
स्विट्जरलैंड ने रविवार को समलैंगिक जोड़ों को शादी करने और बच्चे गोद लेने की अनुमति देने के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला दिया।
रविवार को हुए जनमत संग्रह में मतदाताओं ने बड़े बहुमत से समलैंगिक शादी के पक्ष में मतदान किया। स्विट्जरलैंड की जनता ने समलैंगिक जोड़ों की शादी को लेकर कराए गए जनमत संग्रह में मंजूरी दी है। मतदाताओं ने लगभग दो तिहाई मतों से समलैंगिक जोड़ों की शादी को मंजूरी दी।
इसी साल समलैंगिक शादियों के विरोधियों ने जनमत संग्रह की मांग की थी। इस मांग के समर्थन में उन्होंने इतने लोगों के दस्तखत जुटा लिए थे कि सरकार को जनमत संग्रह कराना पड़ा।
फिलहाल अल्पाइन देश अब एलजीबीटीक्यू+ शादियों को मान्यता देने वाला नवीनतम पश्चिमी यूरोपीय देश बन गया है।
यह भी पढ़ें : जर्मनी चुनाव : एंगेला मर्केल की पार्टी हारी, एसपीडी सबसे आगे
आधिकारिक नतीजों के अनुसार स्विट्जरलैंड के 64.1 प्रतिशत मतदाताओं ने इसके पक्ष में मत दिया जबकि 36 प्रतिशत ने समलैंगिक शादियों के विरोध में मतदान किया।
हालांकि, समर्थकों ने कहा है कि इस तरह की शादियां होने में महीनों लग सकते हैं। इसका कारण देश की प्रशासनिक और विधायी प्रक्रिया बताया जा रहा है।
स्विस संसद का समर्थन
सरकार और सांसदों ने मतदान से पहले मतदाताओं से “सभी के लिए शादी” का समर्थन करने और एलजीबीटीक्यू+ जोड़ों के मौजूदा “असमान व्यवहार” को खत्म करने का आग्रह किया था।
पिछले साल देश के सांसदों ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के लिए मतदान किया था, लेकिन कानून का विरोध करने वाले रूढि़वादी नेताओं ने इस मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने के लिए जरूरी 50,000 हस्ताक्षर जुटा लिए थे।
यह भी पढ़ें : अशोक गहलोत के भाई को ED ने इस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया
यह भी पढ़ें : विपत्ति की घड़ी में होगी क्वार्ड की अग्नि परीक्षा
यह भी पढ़ें :गोवा में चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, अब ये बड़े नेता छोड़ेंगे पार्टी
यह भी पढ़ें : किसानों के ‘भारत बंद’ के कारण धीमी हुई रफ्तार, जाम से बुरा हाल
कुछ ईसाई समूह के सदस्यों और दक्षिणपंथी स्विस पीपुल्स पार्टी (एसवीपी) जो कि स्विट्जरलैंड की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, उसने ऐसी शादियों का पुरजोर विरोध किया था।
स्विट्जरलैंड ने 1942 में समलैंगिकता को अपराध मुक्त कर दिया था, लेकिन स्थानीय और क्षेत्रीय पुलिस के पास 1990 के दशक तक “समलैंगिक रजिस्टर” थे।
स्विट्जरलैंड में 2007 के बाद से समलैंगिक जोड़ों को साथ रहने का अधिकार मिला था, लेकिन उन्हें उस वक्त शादी का अधिकार नहीं दिया गया था। हर साल करीब 700 लोग साथ रहने के लिए रजिस्टर कराते हैं।
हालांकि इस तरह से रहने वाले लोगों को उस तरह का अधिकार नहीं मिलता जैसा कि शादीशुदा जोड़ों को मिलता है। वे बच्चों को गोद लेने से वंचित रह जाते थे।
यह भी पढ़ें : पंचायत ने सुनाया फरमान ठेकेदार के रुपये लौटाओ या लड़की उसके हवाले करो
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : यह जनता का फैसला है बाबू, यकीन मानो रुझान आने लगे हैं
पिछले साल दिसंबर में सांसदों ने सिविल यूनियन के बजाय समलैंगिक, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर और क्वीर लोगों को शादी करने की अनुमति देने के लिए मतदान किया था।
फिलहाल जनमत संग्रह के परिणाम की पुष्टि होने के बाद विवाह विधेयक को कानून बनने की अनुमति मिल जाएगी। समान लिंग वाले जोड़े साथ मिलकर बच्चे गोद ले पाएंगे और वे नागरिकता के लिए भी सरल प्रक्रिया के तहत आवेदन कर पाएंगे।