स्पेशल डेस्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाने वाली सपा अब लगातार बदलाव के दौर से गुजर रही है। सपा ने बसपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन फायदा केवल बसपा को हुआ। इतना ही नहीं चुनाव खत्म होते ही बसपा ने सपा से किनारा कर लिया।
इस हार से सपा का वोट बैंक कमजोर पड़ गया था। इसके बाद सपा को दोबारा जिंदा करने के लिए मुलायम ने खुद मोर्चा संभाला। इसके बाद मुलायम ने सपा के कुनबे को एक करने की पहल करना शुरू की। इसी के तहत मुलायम अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव को दोबारा पार्टी में शामिल करने की वकालत कर रहे थे लेकिन अखिलेश शायद अपने चाचा के मधुर संबंध बनाने के लिए इच्छुक नजर नहीं आ रहे थे।
इतना ही नहीं शिवपाल पर अभी तक नम्र रूख अपना रखा था लेकिन अब ऐसा नहीं उन्होंने शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा में याचिका लगा दी है लेकिन सबसे रोचक बात यह है कि नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल को लेकर सपा ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। सपा को अब लगता है कि शिवपाल यादव अब उनकी पार्टी के लिए कोई काम के नहीं है।
इस वजह से शिवपाल को हटाकर अपना वोट बैंक दोबारा हासिल किया जाये। बता दें कि शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी बनारक लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे थे लेकिन प्रसपा अपना खाता तक नहीं खोल सकी।
शिवपाल यादव की पार्टी भले ही खाता नहीं खोल सकी हो लेकिन उसने सपा के वोट बैंक पर सेंध लगा दी और सपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा। शिवपाल यादव को भी उम्मीद के मुताबिक लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन नहीं कर सके तब लगा था शिवपाल और अखिलेश के बीच सुलह हो सकती है लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कुल मिलाकर देखा जाये तो अब वोट बैंक को मजबूत करने के लिए अखिलेश ने शिवपाल यादव के खिलाफ ये कदम उठाया है।