जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी भले ही सत्ता का स्वाद चखने से वंचित रह गई लेकिन अखिलेश इस बार दूसरी पार्टियां छोड़कर साथ आये नेताओं को अपने साथ जोड़े रखने की हर संभव कोशिश करेंगे. इसी कोशिश के तहत उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को विधानसभा में भेजने का फैसला किया है ताकि समाजवादी पार्टी की तरफ से बीजेपी सरकार को सदन में हर बात का माकूल जवाब दिया जा सके.
ठीक चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर की फाजिलनगर सीट पर चुनाव हार गए. स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े वर्ग के बड़े नेता माने जाते हैं. इसी वजह से समाजवादी पार्टी उनके अनुभवों का विधानसभा में लाभ उठाना चाहती है. तमाम कोशिशों के बावजूद समाजवादी पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल नहीं कर पाई लेकिन इस चुनाव में समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत भी बढ़ा और सीटों में ढाई गुना इजाफा हुआ.
समाजवादी पार्टी का मानना है कि समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ाने में स्वामी प्रसाद मौर्य सहित कई दूसरे बड़े नेताओं की कोशिशों का भी हाथ है. रविवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से स्वामी प्रसाद मौर्य की मुलाक़ात के बाद चर्चा यह शुरू हो गई है कि अखिलेश यादव अपनी करहल सीट छोड़ेंगे और उस पर स्वामी प्रसाद मौर्य को चुनाव लड़ाएँगे. समाजवादी पार्टी के लिए करहल सीट काफी सुरक्षित मानी जाती है. अखिलेश यादव क्योंकि आज़मगढ़ से सांसद हैं इसलिए वह विधानसभा सीट छोड़ेंगे.
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