न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान सम्पन्न हो चुके हैं। सभी दल अब दूसरे चरण के मतदान के लिए तैयारियों में जुट गए हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए यूपी की सात सीटें चिंता का कारण बनी हुई हैं।
दरअसल, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के साथ गठबंधन करने के बाद सपा के खाते में 36 सीटें आई हैं। इनमें से सपा प्रमुख ने 29 पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, फूलपुर, बलिया, चंदौली, महाराजगंज जैसी वीआईपी सीटों पर कैंडिडेट तय नहीं कर पा रहे हैं।
लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, जिसपर सभी दलों की पैनी नजर है। इस लोकसभा सीट के लिए नामांकन शुरू हुए तीन दिन हो गए हैं, लेकिन सपा अपना उम्मीदवार नहीं तलाश पाई। हालांकि, कुछ दिनों पहले ऐसी चर्चाएं थी कि बीजेपी छोड़कर कांग्रेसी हुए फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा लखनऊ से सपा उम्मीदवार हो सकती हैं।
बीजेपी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को लखनऊ से अपना कैंडिडेट बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने भी अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। लखनऊ में पांचवें चरण में 6 मई को मतदान होगा। चर्चा ये भी है कि राजधानी में ब्राह्मण वोटों की तादाद अच्छी-खासी है, इस बात को ध्यान में रखते हुए सपा किसी ब्राह्मण नेता को अपना उम्मीदवार बना सकती है
वाराणसी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में भी विपक्ष अब तक खाली हाथ है। मोदी को मजबूत टक्कर देने के लिए गठबंधन और कांग्रेस ने अभी तक किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। गठबंधन के बाद सपा के खाते में आई इस लोकसभा सीट पर सपा कोई कद्दावर चेहरा तलाश रही है, लेकिन उसे अब तक कामयाबी नहीं मिल पा रही है।
फूलपुर
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की कर्मभूमि फूलपुर लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते पहली बार बीजेपी ने खाता खोला था। मार्च 2018 में हुए उपचुनाव में बसपा के समर्थन से सपा बीजेपी को करारी मात देने में कामयाब हुई थी। ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सपा-बसपा गठबंधन और बीजेपी के बीच मुकाबला होने की उम्मीद है। कांग्रेस की परंपरागत सीट रही फूलपुर 1996, 1998, 1999 और 2004 में एसपी जीत चुकी है। इस समय नागेंद्र पटेल मौजूदा सांसद है। हालांकि, चर्चा ऐसी है कि अखिलेश नागेंद्र पटेल का टिकट काट सकते हैं।
इलाहाबाद
उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों में इलाहाबाद सीट का नाम भी आता है। लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, मुरली मनोहर जोशी, जनेश्वर मिश्रा जैसे राजनीतिक दिग्गजों के साथ-साथ अमिताभ बच्चन यहां से सांसद रह चुके हैं। इस लोकसभा सीट पर भी सपा अपना उम्मीदवार नहीं तलाश पा रही है। इस सीट से सपा से कुंवर रेवती रमण सिंह 2004 और 2009 में सांसद रह चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा यहां दूसरे नंबर पर थी। बीजेपी ने कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि एसपी अपना नाम तय करने से पहले कांग्रेस का चेहरा परखना चाहती हैं। हालांकि, रेवती रमण सिंह के बेटे विधायक उज्जवल रमण सिंह को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
बलिया
समाजवादियों का गढ़ मानी जाने वाली बलिया लोकसभा सीट सियासी प्यार में फंस गई है। ऐसी चर्चा है कि सपा गठबंधन की साथी बसपा के कोटे में गई जौनपुर सीट अपने पास लेकर बदले में बलिया सीट दे सकती है। हालांकि, बलिया से सपा के संभावित दावेदारों में पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर अखिलेश यादव के करीबियों में गिने जाते हैं। अखिलेश नीरज के सियासी भविष्य पर ग्रहण नहीं लगाना चाहेंगे। जौनपुर अगर सपा के खाते में आती है तो वहां से मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप यादव के भी लड़ने की चर्चा है। हालांकि, पूर्व मंत्री और सांसद पारसनाथ यादव वहां के कद्दावर नेता और टिकट के दावेदार हैं। ऐसे में तेज प्रताप की उम्मीदवारी कम मुश्किल भरी नहीं है।
चंदौली
वाराणसी मंडल में आने वाली चंदौली लोकसभा सीट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय उम्मीदवार हैं। देश के सबसे पिछड़े जिलों में आने वाला ये संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश के उन 34 जिलों में से एक है, जिसे बैकवर्ड रिजन ग्रांट फंड प्रोग्राम के तहत अनुदान दिया जाता है। गठबंधन के बाद सपा के खाते में आई इस सीट पर अखिलेश ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। हालांकि, ऐसी चर्चा है कि पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह के नाम पर सपा प्रमुख अपनी मुहर लगा सकते हैं।
महराजगंज
निषाद पार्टी के बीजेपी में विलय के बाद महराजगंज लोकसभा सीट पर लड़ाई बहुत दिलचस्प हो गई है। सपा ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। वहीं कांग्रेस इस सीट से सु्प्रीया श्रीनेत को अपनी कैंडिडेट बनाया है।