Monday - 28 October 2024 - 2:33 PM

कमाई बंटने का डर या आस्‍था, साईं जन्मभूमि विवाद के क्‍या है मायने

न्‍यूज डेस्‍क

साईं जन्मभूमि पर महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे के बयान बाद विवाद बढ़ता ही जा रहा है। क्‍योंकि सवाल साईं बाबा के जन्म स्थान को लेकर है और साईं समर्थक इसे आस्था का सवाल मानकर लड़ाई लड़ने को तैयार हो गए हैं।

दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अपील के बावजूद शिरडी ग्राम सभा ने रविवार को बंद करने का फैसला किया है। सीएम की ओर से साई जन्मभूमि पाथरी शहर के लिए विकास निधि के ऐलान के बाद उठा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री के बयान से शिरडी के लोग नाराज हैं।

19 जनवरी से शिरडी में अनिश्चकालीन बंद बुलाया गया है। साईं भक्तों का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार आस्था से खिलवाड़ कर रही है। शिरडी में ग्रामीणों और ट्रस्ट से जुड़े लोगों के बीच कई दौर की बैठकों के बाद ये फैसला किया गया है कि रविवार यानि 19 जनवरी से अनिश्चितकालीन बंद किया जाएगा।

पैकेज का ऐलान

बता दें कि साईं के जन्म स्थान को लेकर पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है, लेकिन बीती 9 जनवरी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने परभणी जिले के पाथरी को साई के जन्म स्थान की हैसियत से विकसित करने के लिए 100 करोड़ के पैकेज का ऐलान कर दिया. इसके बाद से ही ये विवाद भड़क गया है।

उद्धव से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पाथरी को लेकर ऐसा ही ऐलान किया था। 2018 में साईं समाधि शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने पहुंचे राष्ट्रपति ने कहा था, ‘पाथरी साई बाबा का जन्म स्थान है। मैं पाथरी के विकास के लिए काम करूंगा।’

हालांकि ये सच है कि साईं बाबा के बारे में जानकारियां बहुत सीमित हैं। यहां तक कि उनके धर्म और परिवार के बारे में भी लोगों के अपने-अपने दावे हैं लेकिन सवाल ये भी है कि अगर कुछ लोगों की आस्था के तहत पाथरी को साईं बाबा का जन्म स्थान मान भी लिया जाए तो इससे किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? लेकिन बात सिर्फ आस्था की है या फिर असल मुद्दा कुछ और है? पाथरी का विवाद उठने पर एनसीपी नेता अब्दुल्ला खान दुर्रानी ने इस ओर इशारा भी किया है।

 

कमाई बंटने का डर

दुर्रानी के मुताबिक, ‘साईं बाबा की जन्म स्थली पाथरी में होने के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। शिरडी साई की कर्मभूमि है और पाथरी जन्मभूमि। दोनों की अपनी-अपनी अहमियत है। शिरडी निवासी अपनी कमाई बंटने के डर से पाथरी का विरोध कर रहे हैं।’

ये भी सच है कि साईं भक्तों की आस्था के चलते साई ट्रस्ट दुनिया के सबसे अमीर धार्मिक ट्रस्टों में से एक है। मंदिर के चारों ओर बसे कस्बों और गावों की अर्थव्यवस्था साईं के इर्द गिर्द ही घूमती है। अगर ट्रस्ट की बीते साल की रिकॉर्डतोड़ कमाई पर नजर डालें तो 2019 में साई दरबार में 287 करोड़ का चढ़ावा आया। चढ़ावे में कैश के अलावा 19 किलो सोना और 392 किलो चांदी भी मिली। साल 2018 में 285 करोड़ का चढ़ावा आया था। वहीं मंदिर में रोजाना आने वाला औसत चढ़ावा 80 लाख रुपए है। मंदिर ट्रस्ट के पास 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा का फिक्स्ड डिपॉजिट है।

जाहिर है अगर पाथरी में साईं बाबा के जन्म स्थान के नाम पर मंदिर बन गया तो देश भर से आने वाले साईं भक्तों का एक हिस्सा उधर भी सिर झुकाने पहुंचेगा और शिरडी में बरसने वाली इस दौलत पर भी असर पड़ेगा। आस्था के नाम पर छप्पर फाड़कर बरसती इसी दौलत का तकाजा है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं के खिलाफ धर्मयुद्ध छेड़ रखा था और उन्हें मुसलमान बताकर हिंदुओं को शिरडी से दूर रहने की नसीहत भी दे डाली थी, लेकिन आस्था तो आस्था है। एक बार बन गई तो फिर टूटना आसान नहीं होता।

मंदिर बंद नहीं रहेगा

साईं ट्रस्ट का बंद को समर्थन जरूर है लेकिन एक अहम बात जो ट्रस्ट ने साफ की है वो ये कि शिरडी बंद के दौरान मंदिर बंद नहीं रहेगा। मंदिर में आम दिनों की तरह आरती, पूजापाठ होता रहेगा और श्रद्धालुओं को साईं बाबा के दर्शन भी मिलेंगे, लेकिन शहर में बंद के चलते होटल और बाकी सुविधाओं के लिए श्रद्धालुओं को मुसीबत झेलनी पड़ सकती है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com