- अधिकारियों के मुताबिक भीड़ और गर्मी की वजह से गई जानें
- छत्तीसगढ़ में सरकार की तैयारियों और इंतजामों की खुली पोल
न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी और तालाबंदी की मार सबसे ज्यादा गरीबों पर पड़ी हैं। कोई ट्रेन में भूख-प्यास से दम तोड़ रहा है तो कोई सड़क दुर्घटना में, और अब क्वारैंटाइन सेंटरों की बदइंतजामी की वजह से लोग मर रहे हैं।
देश के अधिकांश राज्यों के क्वारैंटाइन सेंटरों की बदहाली की खबरें आ रही हैं। गर्मी और भीड़भाड़ की वजह से लोग बदहाल हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसा ही मामला सामने आया है।
छत्तीसगढ़ में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। यहां भी दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूरों का आना जारी है। पिछले 24 घंटे में यहां 34 नए केस आने के साथ अब कुल कोरोना पीडि़तों की संख्या 400 के करीब पहुंच गई है। हालांकि, इन बढ़ते केसों ने छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की तैयारियों और इंतजामों की पोल खोलनी भी शुरू कर दी है। पिछले 48 घंटों में ही यहां क्वारैंटाइन सेंटरों में रखे गए 3 बच्चों की मौत हो गई है। यह तीनों घटनाएं अलग-अलग केंद्रों की हैं। मरने वाली सभी लड़कियां हैं, जिनमें दो नवजात थीं।
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वहीं इस घटना पर अधिकारियों का कहना है कि क्वारैंटाइन सेंटरों में गर्मी और भीड़भाड़ की वजह से बच्चियों की जान गई है। उन्होने बताया कि दो बच्चों की मौत बुधवार को सांस लेने में दिक्कत की वजह से हुई। एक चार महीने की बच्ची की पिछले कुछ दिनों से तबियत खराब थी और गुरुवार को अचानक हालत बिगडऩे के बाद उसकी मौत हो गई। अभी उसके कोरोना टेस्ट का नतीजा आना बाकी है।
जिन तीन बच्चियों की मौत हुई है उनमें से दो-एक 18 महीने और एक 4 महीने की बच्ची बुरी तरह कुपोषित थीं। जान गंवाने वाली यह सभी बच्चियां प्रवासी मजदूरों की थीं, जो लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद राज्य पहुंचे थे।
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स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने भी माना है कि क्वारैंटाइन सेंटर में गर्मी और भीड़भाड़ से ही बच्चियों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि अगर इन केंद्रों में कोई कमी की रिपोर्ट सामने आती है, तो अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी माना कि छत्तीसगढ़ के सिस्टम पर बड़ी संख्या में लौट रहे प्रवासी मजदूरों की वजह से बोझ बढ़ गया है।
बलोद जिले में गुरुवार को जिस बच्ची की मौत हुई है, वह हाल ही में महाराष्ट्र के चंद्रपुर से अपने परिवार के साथ ट्रक में बैठकर लौटी थी।
वहीं बच्ची के चाचा योगश्वर निषाद का कहना है कि उनकी बेटी की तबियत लंबे समय से खराब थी और स्वास्थ्यकर्मी लगातार उसकी निगरानी कर रहे थे। 26 मई को उन्होंने बच्ची को अस्पताल ले जाने के लिए कहा, लेकिन पूरे दिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली। बाद में उन्हें भाई से पता चला कि उनकी बेटी की मौत हो गई है। फिलहाल बच्ची के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
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