न्यूज डेस्क
घर-आंगन में आसानी से उगने वाला ‘सदाबहार’ पौधा कैंसर की दवा के लिए उपयोगी माना जाता है। इसमें मौजूद एल्कलॉयड विनक्रिस्टीन व विनब्लास्टीन से कैंसर की दवा तैयार की जाती है। यह दोनों एल्कलॉयड ¨वडोलीन व कैथेरनथीन नामक दो इकाइयों से मिलकर तैयार होते हैं।
केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के वैज्ञानिकों की ओर से विकसित सदाबहार की ‘सिम-सुशील’ वैरायटी को कैंसर पर वार के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सीमैप के डॉ.आशुतोष कुमार शुक्ला बताते हैं कि ¨वडोलीन केवल सदाबहार पौधे की पत्तियों से ही प्राप्त किया जा सकता है। नई किस्म में ¨वडोलीन मौजूदा किस्मों के मुकाबले पांच गुना से अधिक है। विनक्रिस्टीन एवं विनब्लास्टीन को ¨वडोलीन व कैथेरनथीन के अर्ध संश्लेषण से तैयार किया जाता है।
कैथेरनथीन तो सदाबहार पौधे में फूल से लेकर जड़ तक पाया जाता है, जबकि ¨वडोलीन केवल पौधे की हरी पत्तियों में ही पाया जाता है। नई किस्म में पत्तियां अधिक होने से ¨वडोलीन ज्यादा मात्र में मिलेगा। औषधि उद्योग में देश-विदेश में इसकी जबर्दस्त मांग है, इसलिए किसानों के लिए भी नई किस्म लाभकारी होगी।
सिम-सुशील को सीमैप की ओर से विकसित की गई सफेद फूल वाली निर्मल वैरायटी के म्यूटेशन से तैयार किया गया है। यह शोध भारत सरकार के विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसइआरबी) के वित्तीय सहयोग से किया गया।
डॉ.शुक्ला बताते हैं कि अभी तक सदाबहार की व्यावसायिक खेती प्रमुख रूप से तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात में होती है। अब कोशिश है कि उत्तर प्रदेश में भी इसकी खेती को बढ़ावा दिया जाए।