जुबिली न्यूज डेस्क
जयपुर. राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. वहीं कांग्रेस की स्थिति कुछ अलग है. प्रदेश में पार्टी सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट में बंटी है. अब सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुले तौर पर मोर्चा खोल दिया है. राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट मंगलवार को मौन व्रत और अनशन पर बैठ रहे हैं.
उन्होंने विधायकों और मंत्रियों को इसमें शामिल होने के लिए नहीं बुलाया है. वह अकेले ही अनशन पर बैठेंगे. सचिन पायलट के बगावती तेवर से कांग्रेस हाई कमान भी पशोपेश में है. पार्टी ने सचिन पायलट को प्रदर्शन करने के बजाय अपनी बात पार्टी फोरम पर रखने की नसीहत दी है. हालांकि, सचिन पायलट पर इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है.
जयपुर में शहीद स्मारक पर सचिन पायलट के अनशन के लिए मंच और पांडाल तैयार हो गया है. अनशन के पोस्टर पर महात्मा गांधी की तस्वीर है. पोस्टर पर लिखा है- वसुंधरा सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन. सचिन पायलट के अनशन और मौन व्रत के ऐलान के बाद राजस्थान का सियासी पारा चढ़ गया है. चुनावी साल में अंतर्कलह से एक ओर जहां कांग्रेस परेशान है तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी इसे एक अवसर के तौर पर देख रही है.
सचिन पायलट का कहना है कि उन्होंने वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान भ्रष्टाचार का खुलासा किया था और सरकार बनने की स्थिति में जांच कराने का भरोसा दिलाया था. कांग्रेस की सरकार बने हुए 4 साल से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. सचिन पायलट ने यह भी दावा किया था कि उन्होंने इस बाबत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी भी लिखी थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब सचिन पायलट अनशन पर बैठने जा रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें नसीहत भी दी है.
कांग्रेस की लताड़ के साथ पुचकार
पायलट ने अनशन करने का ऐलान कर दिया. उनके इस तेवर को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें कड़ा संदेश दिया है. कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी रंधावा ने कहा कि धरना देना पार्टी हितों के खिलाफ है. पायलट को पार्टी फोरम पर अपनी बात रखनी चाहिए. रंधावा ने आगे कहा कि मेरे प्रभारी बने हुए 5 महीने हो गए, लेकिन पायलट ने कभी यह मुद्दा नहीं उठाया. पायलट पार्टी के एसेट हैं, अपनी बातें मुझसे और पार्टी फोरम में कहें. साथ ही रंधावा ने बताया कि वह पायलट के संपर्क में हैं.
राजस्थान कांग्रेस का अंतर्कलह
राजस्थान में कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. इसमें सचिन पायलट काफी बड़ा योगदान माना गया, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी अशोक गहलोत को मिल गई. इसके बाद से ही पायलट और गहलोत के बीच राजनीतिक टकराव की स्थिति बन गई. अगले साल लोकसभा चुनाव भी प्रस्तावित है, ऐसे में राजस्थान कांग्रेस में दो फाड़ पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
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