जुबिली स्पेशल डेस्क
अभी कुछ महीनें पहले मध्य प्रदेश में कमलनाथ बनाम ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच रार देखने को मिली थी और इसका नतीजा यह रहा कि कमलनाथ की सरकार वहां से चली गई। इतना ही नहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को ठेंगा दिखाते हुए बीजेपी में शामिल हो गए और शिवराज को सत्ता पर दोबारा पहुंचा दिया।
अब इसी तरह का मामला राजस्थान में भी देखने को मिल रहा है लेकिन अंतर केवल यह है कि वहां पर गहलोत बनाम पायलट की जंग में फिलहाल कांग्रेस की सरकार राजस्थान में बच गई है। दरअसल कांग्रेस में युवा जोश बनाम अनुभव की लड़ाई बरसों से चली आ रही है। राजस्थान में सचिन पायलट को कांग्रेस ने काबू करते हुए पहले उपमुख्यमंत्री के पट से हटाया और देर किये बगैर उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से छुट्टी कर दी है।
कांग्रेस क्यों हुई कमजोर
मोदी लहर में कांग्रेस पिछले कई सालों से पिछड़ रही है। दरअसल कांग्रेस के हाथ से पहले केंद्र की सत्ता चली गई। उसके बाद बीजेपी ने एक के बाद एक राज्यों पर अपना वर्चस्व हासिल किया है। इस समय बीजेपी की 16 राज्यों में सरकार है। आलम तो यह है कि जिन राज्यों में कांग्रेस का दबदबा होता था, वहां से भी कांग्रेस साफ हो गई है। हालांकि मोदी के दूसरे कार्यकाल में बीजेपी थोड़ी कमजोर जरूर हुई और उसके हाथ से भी कई राज्यों में सत्ता चली गई है।
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कमलनाथ की चली गई थी कुर्सी
दूसरी ओर कांग्रेस की पकड़ कमजोर होने की वजह से उसके हाथ से सत्ता निकल गई है। मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार केवल आपसी लड़ाई की वजह गिर गई। मध्य प्रदेश की सरकार गिराने के सूत्रधार ज्योतिरादित्य सिंधिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया वहीं इंसान है जिसपर राहुल गांधी का हाथ होने की बात कही जाती थी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सम्मान का हवाला देकर उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर लिया और कमल का हाथ थाम लिया।
इतना ही नहीं रातों-रात कमलनाथ को कुर्सी छोडऩी पड़ी। इसके साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से शिवराज फिर सत्ता पर काबिज हो गए। अब राजस्थान की अशोक गहलोत की सरकार पर भी मध्य प्रदेश वाला संकट ही हावी होता दिख रहा है।
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लेकिन राजस्थान में गहलोत पड़े ऐसे भारी
मध्य प्रदेश की सरकार को गिराने में गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम सचिन पायलट का सहारा लिया जा रहा है लेकिन यहां पर स्थिति अलग है। कांग्रेस ने वक्त रहते ही एक्शन में नजर आई। इसका नतीजा यह रहा कि सचिन पायलट की बगावत खुद उनपर भारी पड़ गई है। सचिन पायलट ने गहलोत को कमजोर समझना महंगा पड़ गया है। राजस्थान के सियासी ड्रॉमे को और आगे न बढऩे दिया जाए, इसके लिए कांग्रेस ने फौरन सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ प्रदेश के कांग्रेस पद से बेदखल कर दिया है।
पायलट और सिंधिया में क्या है अंतर
दरअसल सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया में जमीन आसमान का अंतर है। दोनो का राजनीतिक कद अपने-अपने राज्यों में बड़ा है लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया का मध्य प्रदेश में सिक्का चलता है लेकिन राजस्थान में गहलोत भी किसी से कम नहीं है। कुल मिलाकर सचिन पायलट बनाम गहलोत की जंग में पायलट कमजोर पड़ते दिख रहे हैं और कांग्रेस ने भी उनपर अब कड़ा रूख अपना लिया है।
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पायलट पर कांग्रेस का क्या है कहना
राजस्थान में कांग्रेस के विधायकों की बैठक मंगलवार को हुई है। इस बैठक में भी सचिन पायलट पर एक्शन लिया है। विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसका ऐलान किया। पायलट के खिलाफ लिए गए एक्शन की जानकारी देते हुए सुरजेवाला ने तीखे अंदाज में ये भी याद दिलाया कि सचिन पायलट को कम उम्र में ही पार्टी ने बहुत कुछ दिया है।
जयपुर में सीएम आवास में विधायक दल की बैठक खत्म होने के बाद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि हमें एक बात का खेद है कि उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट व कुछ विधायक और मंत्री दिग्भ्रमित होकर बीजेपी के षडयंत्र में आकर कांग्रेस सरकार गिराने में शामिल हो गए।
सुरजेवाला ने आगे कहा, कि सोनिया गांधी जी ने राहुल गांधी के नेतृत्व में सचिन पायलट व दूसरे साथी मंत्री, विधायकों से लगातार संपर्क करने की कोशिश की। कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट से आधा दर्जन बार बात की। CWC के दो सदस्यों ने पायलट से दर्जनों बार बात की, केसी वेणुगोपाल ने कई बार बात की। सोनिया जी और राहुल जी की ओर से हमने भी अपील की कि सारे दरवाजे खुले हैं। अगर आपका मतभेद है तो कांग्रेस नेतृत्व को बताइए, हम बैठकर सुलझाएंगे।
सचिन को लेकर सुरजेवाला ने और क्या बोला
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सचिन पायलट को कांग्रेस में दी गई जिम्मेदारियों का भी हवाला किया। उन्होंने कहा कि सचिन पायलट को छोटी उम्र में जो राजनीतिक ताकत दी गई, शायद किसी को नहीं दी गई।
2003 में सचिन पायलट राजनीति में आए, इसके बाद 26 साल की उम्र में 2004 में उन्हें कांग्रेस ने सांसद बनाया। 32 साल की उम्र में केंद्र में मंत्री बनाया। 34 साल की उम्र में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। 40 साल की उम्र में उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी है।
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सोनिया और राहुल गांधी का व्यक्तिगत आशीर्वाद उनके साथ था, इसलिए इतना दिया गया। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सचिन पायलट ने इतना सबकुछ मिलने के बावजूद कांग्रेस सरकार गिराने की साजिश में हिस्सा लिया, जो बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसीलिए सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का निर्णय लिया गया है।