Friday - 25 October 2024 - 9:25 PM

‘सामना’ के जरिए शिवसेना ने ममता को दिया जवाब, बताया कांग्रेस क्यों है जरूरी?

जुबिली स्पेशल डेस्क

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान केन्द्र सरकार को चुनौती देने वाली ममता बनर्जी ने दावा किया था कि वह एक पाँव से पश्चिम बंगाल जीतेंगी और दोनों पाँव से दिल्ली फतह करेंगी।

पश्चिम बंगाल चुनाव को बड़े अंतर से जीतने के बाद से ममता बनर्जी का दखल दिल्ली की तरफ बढ़ गया है। अभी हाल में ही उन्होंने दिल्ली का दौरा भी किया था लेकिन यहां पर कांग्रेस से उन्होंने किनारा कर रखा था।

इतना ही नहीं दिल्ली में सोनिया से मुलाक़ात नहीं की थी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। वहीं उनके मुंबई दौरे के कारण विपक्षी दलों के साथ बैठक की और बिन कांग्रेस विपक्षी एकता को मजबूती देने की बात कह रही है।

पश्चिम बंगाल में तीसरी बार टीएमसी को जीत दिलाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपना राजनीतिक कद बढ़ा लिया है। इसके अलावा एक नई बहस को भी जन्म दे दिया है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में ममता विपक्ष की अगुवाई कर सकती हैं।

अब इस पूरे मामले पर ‘सामना’ के जरिए शिवसेना ने ममता पर निशाना साधते हुए कहा है कि कांग्रेस को दूर रखकर राजनीति करना मौजूदा सरकार को बल देने जैसा होगा। शिवसेना  ने अपने मुखपत्र ‘सामना’  में एक लेख में लिखा है. कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखना, फासिस्ट ताकतों की मदद करने जैसा ही है।

शिवसेना ने कहा अपने-अपने राज्य और टूटे-फूटे किले संभालने के एक साथ इस पर तो कम-से-कम एकमत होना जरूरी है। इस एकता का नेतृत्व कौन करे यह आगे का मसला है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी बाघिन की तरह लड़ीं और जीतीं।  बंगाल की भूमि पर BJP को चारों खाने चित करने का काम उन्होंने किया।

उनके संघर्ष को देश ने प्रणाम किया है। ममता ने मुंबई में आकर राजनैतिक मुलाकात की. ममता की राजनीति काग्रेंस उन्मुख नहीं है. पश्चिम बंगाल से उन्होंने कांग्रेस, वामपंथी और भाजपा का सफाया कर दिया। यह सत्य है फिर भी कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखकर सियासत करना यानी मौजूदा ‘फासिस्ट’ राज की प्रवृत्ति को बल देने जैसा है।

बंगाल चुनाव के बाद से कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के रिश्तों में खटास देखने को मिल रही है। ममता बनर्जी दूसरे राज्यों में अपनी पार्टी को मजबूत करने में जुट गई है।तृणमूल कांग्रेस अब बंगाल के बाहर भी अपना विस्तार करना चाहती है।

इसके आलावा कांग्रेस और टीएमसी के संबंधों में उस समय दरार आ गई थी जब तृणमूल ने दावा किया था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं बल्कि पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा बनकर उभरी हैं।

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