प्रो. अशोक कुमार
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और फैलने लगती हैं। ये कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ती हैं और आसपास के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। भारत में कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है। देश की बढ़ती आबादी और बदलते जीवनशैली के कारण कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत में सबसे आम कैंसर के प्रकारों में फेफड़े का कैंसर, मुंह का कैंसर, पेट का कैंसर और स्तन कैंसर शामिल हैं।
इन कैंसरों के प्रमुख कारणों में तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन, अस्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी और प्रदूषण शामिल हैं। तले हुए खाद्य पदार्थों, अधिक चीनी और वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। नियमित व्यायाम न करने से मोटापा बढ़ता है जो कई प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण कैंसर के विकास में भूमिका निभा सकते हैं।कुछ प्रकार के कैंसर परिवारों में चल सकते हैं।
कैंसर के उपचार के तरीके कैंसर के प्रकार, उसके चरण और व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। कुछ सामान्य उपचार विकल्पों में शामिल हैं: ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है।विकिरण का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।कैंसर कोशिकाओं में विशिष्ट परिवर्तनों को लक्षित करने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है। लेकिन अभी तक कैंसर रोग के निदान के लिए कोई वैक्सीन नहीं बन पायी है !
रूस ने हाल ही में कैंसर के इलाज के लिए एक नई वैक्सीन विकसित करने का दावा किया है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि उसने कैंसर की वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है. रूसी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, इस वैक्सीन को अगले साल से रूस के नागरिकों को फ्री में लगाया जाएगा. कैंसर की ये वैक्सीन mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित है.
कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज में रूस को बड़ी सफलता मिली है. रूस ने कैंसर के खिलाफ एक वैक्सीन बनाने में कामयाबी हासिल की है, और इसे सदी की सबसे बड़ी खोज के रूप में देखा जा रहा है. रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर ने इस उपलब्धि की जानकारी साझा की है. रूसी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, यह वैक्सीन अगले साल से रूस के नागरिकों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी.
यह वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित है, जो कैंसर के खिलाफ अपनी तरह की पहली वैक्सीन है. mRNA वही तकनीक है, जिसने कोरोना वैक्सीन को मुमकिन बनाया था. रूसी अधिकारियों का कहना है कि 2025 की शुरुआत तक इस वैक्सीन को लॉन्च कर दिया जाएगा. मगर आखिर mRNA तकनीक क्या है, इससे जुड़े खतरे और फायदे क्या है
mRNA तकनीक का मूल सिद्धांत
व्यक्तिगतकृत उपचार: mRNA वैक्सीन को प्रत्येक रोगी के ट्यूमर के विशिष्ट आनुवंशिक प्रोफाइल के आधार पर बनाया जाता है। mRNA, जो कि कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश देता है, इसको इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन पर हमला करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया
ट्यूमर बायोप्सी: सबसे पहले, रोगी के ट्यूमर का एक नमूना लिया जाता है।
आनुवंशिक विश्लेषण: इस नमूने का विस्तृत आनुवंशिक विश्लेषण किया जाता है ताकि ट्यूमर कोशिकाओं में मौजूद विशिष्ट उत्परिवर्तन (mutations) की पहचान की जा सके।इन उत्परिवर्तनों के आधार पर, एक विशेष प्रकार का mRNA डिजाइन किया जाता है। यह mRNA शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इन उत्परिवर्तनों को एक खतरे के रूप में पहचानने के लिए प्रेरित करता है।इस डिजाइन किए गए mRNA को एक वैक्सीन में शामिल किया जाता है।इस वैक्सीन को फिर रोगी को इंजेक्ट किया जाता है।
शरीर में क्या होता है?
जब वैक्सीन शरीर में प्रवेश करती है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली mRNA द्वारा कोडित प्रोटीन को एक विदेशी पदार्थ के रूप में पहचानती है। शरीर इस विदेशी पदार्थ के खिलाफ एंटीबॉडी उत्पन्न करता है। ये एंटीबॉडी कैंसर कोशिकाओं को ढूंढती हैं और उन पर हमला करती हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।
इस तकनीक के फायदे
व्यक्तिगतकृत उपचार: प्रत्येक रोगी के लिए एक अद्वितीय वैक्सीन, जिससे उपचार अधिक प्रभावी हो सकता है। पारंपरिक कीमोथेरेपी की तुलना में कम दुष्प्रभाव।वैक्सीन केवल कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करती है, स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने की संभावना कम होती है।
चुनौतियाँ और भविष्य
हालांकि यह तकनीक बहुत आशाजनक है, लेकिन अभी भी कुछ चुनौतियाँ हैं, जैसे कि:प्रत्येक वैक्सीन को व्यक्तिगत रूप से बनाया जाता है, जिससे इसकी लागत काफी अधिक हो सकती है। अभी तक इस तकनीक के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं है।
जानकारी के मुताबिक इस वैक्सीन को कई रिसर्च सेंटर्स की मदद से विकसित किया गया है. ये वैक्सीन कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाएगी. रूस ने ये भी साफ किया है कि इस वैक्सीन को ट्यूमर बनने से रोकने के लिए आम जनता को मुहैया नहीं कराया जाएगा. मानें वैक्सीन का इस्तेमाल इलाज में किया जाएगा ना कि रोकथाम के लिए.
रूस मे वैक्सीन के प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स से पता चला है कि ये ट्यूमर को बढ़ने और संभावित मेटास्टेसिस को दबाता है. हालांकि अभी तक ये तय नहीं हुआ है कि इस वैक्सीन का नाम क्या होगा. इसके साथ ही ये भी क्लियर नहीं है कि वैक्सीन किस कैंसर के इलाज के लिए बनाया गई है. साथ ही ये कितनी प्रभावी है या रूस इसे किस तरह लागू करने की प्लानिंग कर रहा है, इसके बारे में भी जानकारी नहीं है.
निष्कर्ष:
mRNA तकनीक के द्वारा बनाई गई वैक्सीन कैंसर के उपचार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह तकनीक कैंसर के रोगियों को अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत उपचार प्रदान करने की क्षमता रखती है। हालांकि, इस तकनीक को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना होगा।
(लेखक पूर्व कुलपति कानपुर , गोरखपुर विश्वविद्यालय, विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर हैं )