जुबिली न्यूज डेस्क
दुनिया भर में इस समय रूस के कोरोना टीका की चर्चा है। रूस द्वारा कोरोना टीका बनाने के ऐलान के बाद से लगातार सवाल उठ रहा है कि आखिर कैसे इतनी जल्दी रूस ने टीका बना लिया है। संदेहों की वजह से कई देश टीका लेने में रूचि भी नहीं दिखा रहे हैं कि जबकि हर देश की प्राथमिकता में कोरोना टीका है।
इन सब सवालों का जवाब देते हुए रूस ने बताया है कि आखिर कैसे उसने इतनी जल्दी कोरोना का टीका बना लिया। बिना सारे परीक्षण किए वैक्सीन बनाने के दावों के बीच रूस ने दावा किया है कि वह छह साल से कोरोना के टीके की तैयारी में जुटा था।
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यह खुलासा टीके के लिए फंडिंग जुटाने में लगे रूस के सॉवरेन वेल्थ फंड आरडीआईएफ के प्रमुख किरिल दमित्रिव ने गुरुवार को किया।
दमित्रिव ने कहा कि पिछले कुछ सालों से हम इबोला, मर्स और सार्स वायरस की वैक्सीन विकसित कर रहे थे, जो कोरोना प्रजाति के ही वायरस हैं। चूंकि कोविड-19 मर्स से मिलता-जुलता वायरस है और हम दो साल से मर्स की वैक्सीन बनाने के लिए थे। इसी कारण हम जल्दी टीका बना सके हैं।
मालूम हो कि दुनिया में कही भी अभी तक मर्स का टीका नहीं बना है। जबकि इबोला के पहले टीके को दिसंबर 2019 में मंजूरी मिली है।
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रूस के मुताबिक कोरोना का टीका बाजार में नवंबर-दिसंबर में आ सकती है। हालांकि एस्ट्राजेनेका, मॉडर्ना के टीके भी परीक्षणों के बाद तब तक उत्पादन की दौड़ में होंगे। उन्होंने कहा कि जो लोग रूसी टीके पर यकीन नहीं करते हैं, वे अपने टीके की तैयारी कर सकते हैं।
वैक्सीन ही नहीं संक्रमण रोकने में सफल रहा रूस
रूस वैक्सीन बनाने में ही नहीं कोरोना संक्रमण रोकने में काफी सफल रहा है। मई में रूस में जहां रोजाना 10 हजार से ज्यादा नए मामले आ रहे थे और अब पांच हजार से भी कम केस दर्ज किए जा रहे हैं जबकि भारत में उससे 12 से 13 गुना मामले रोज सामने आ रहे हैं।
कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमित देशों की सूची में रूस चौथे स्थान पर है। वहां 907,758 संक्रमित पाए गए हैं, इनमें से 716,396 संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। इसके अलावा रूस में सिर्फ 1.69 फीसदी मरीजों की मौत हुई जो भारत में दो फीसदी है। अमेरिका और ब्राजील में मृत्युदर तीन फीसदी से ज्यादा है।