जुबिली न्यूज डेस्क
देश में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को देश भर में कोरोना संक्रमण के जहां 4,12,262 नए मामले सामने आए हैं तो वहीं पिछले 24 घंटों में 3,980 लोगों की कोरेाना संक्रमण से मौत हो गई।
वर्तमान में भारत में कोरोना के कुल सक्रिय मामले 35,66,398 हैं। गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये जानकारी दी। फिलहाल एक दिन में कोरोना संक्रमण से रिकॉर्ड 3982 लोगों की मौत के बाद इससे जान गंवाने वालों की संख्या 2,30,010 से अधिक हो गई है।
संकट के समय में महामारी से लड़ने के लिए रूस अगले दो दिनों में स्पुतनिक वी के टीकों 150,000 खुराकों की दूसरी खेप भेजेगा। इसके अलावा लगभत तीस लाख खुराक मई के अंत तक हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी की लैब में उतरने वाली है। रूस ने स्पुतनिक वी की 50 लाख खुराक जून तक और जुलाई में एक करोड़ से अधिक खुराक भारत भेजने की तैयारी कर रहा है।
नई दिल्ली और मॉस्को में स्थित राजनयिकों के अनुसार, रूस कम से कम चार ऑक्सीजन उत्पन्न करने वाले ट्रक भेज रहा है, जो कि बिजली की आपूर्ति होते ही 200 बेड के अस्पताल को सप्लाई कर सकता है। ये ट्रक प्रति घंटे 70 किलोग्राम ऑक्सीजन और प्रति दिन 50,000 लीटर का उत्पादन करते हैं। उन्होंने कहा, “हम पहले ही चार ऐसे ट्रकों की खरीद कर चुके हैं और अधिक प्राप्त कर रहे हैं ताकि ऑक्सीजन की कमी नहीं हो। ये ट्रक रूसी आईएल -76 विमान से इस सप्ताह के अंत तक भारत में उतरेंगे।”
स्पुतनिक वी की 150,000 खुराक का पहला बैच 1 मई को भारत आया था। इसी दिन दिन भारत ने 18 से 44 वर्ष के बीच के लोगों के लिए टीकाकरण का तीसरा चरण खोला था। स्पुतनिक वी मानव एडेनोवायरल वैक्टर पर आधारित है। कोरोनो वायरस बीमारी के खिलाफ इसकी 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावकारिता है। इसे 12 अप्रैल को भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी।
रूस ने दिल्ली के कलावती अस्पताल में 75 वेंटिलेटर, 20 बड़ी क्षमता वाले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और मध्य दिल्ली के अस्पताल में 150 बेड के मॉनिटर भेजा था। निजी दान के माध्यम से पहले से ही 60 बड़े ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अलावा, रूस ने उत्तर भारत के सभी केंद्रीय एम्स में कोरोनो वायरस के शुरुआती चरणों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 200,000 गोलियों की आपूर्ति की है।
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रूस रेमेडिसविर शीशियों की आपूर्ति करने का इच्छुक है। एक भारतीय राजनयिक ने कहा, “नई दिल्ली और मॉस्को राजनयिक चैनलों के माध्यम से लगातार एक-दूसरे के संपर्क में हैं, ताकि चिकित्सा सहायता अधिक से अधिक हो