जुबिली न्यूज डेस्क
यदि रूस के दावों में सच्चाई है तो ये पूरी दुनिया के लिए राहत देने वाली खबर है। कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही दुनिया के ज्यादातर देशों के लिए यह खबर राहत देने वाला है।
कोरोना वायरस के करीब सात महीने लंबे प्रकोप के बाद रूस ने यह दावा किया है कि ‘उनके वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना ली है। ‘
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समाचार एजेंसी स्पुतनिक के मुताबिक , इंस्टिट्यूट फोर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के डायरेक्टर वादिम तरासोव ने कहा है कि “दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।”
कोविड-19 की कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में भारी बढ़ोत्तरी हो रही है। इस स्थिति को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अगर ठोस कदम नहीं उठाया गया तो कोरोना वायरस की महामारी बद से बदतर होती जाएगी। ऐसी स्थिति में रूस से ये खबर आना उम्मीद भरी है।
नोवल कोरोना वायरस से अब तक पूरी दुनिया में एक करोड़ 28 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और इस वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 के कारण करीब 5 लाख 55 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
🦠#Sechenov University has successfully completed tests on volunteers of the world’s first vaccine against #COVID19.
“The #vaccine is safe. The volunteers will be discharged on July 15 and July 20″, chief researcher Elena Smolyarchuk told TASS ➡️ https://t.co/jVrmWbLvwX pic.twitter.com/V8bon4lieR
— Russia in India (@RusEmbIndia) July 12, 2020
इंस्टिट्यूट फोर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के डायरेक्टर वादिम तरासोव बताया कि ‘मॉस्को स्थित सरकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी सेचेनोफ ने ये ट्रायल किए और पाया कि ये वैक्सीन इंसानों पर सुरक्षित है। जिन लोगों पर वैक्सीन आजमाई गई है, उनके एक समूह को 15 जुलाई और दूसरे समूह को 20 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी।’
यूनिवर्सिटी ने 18 जून को रूस के गेमली इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा निर्मित इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल शुरू किए थे।
सेचेनोफ विश्वविद्यालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी एलेक्जांडर लुकाशेव के मुताबिक, ‘वैक्सीन ट्रायल के इस चरण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि वैक्सीन इंसानों के लिए सुरक्षित है या नहीं। फिलहाल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। हमने पाया है कि ये वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है।’
लुकाशेव ने कहा है कि वैक्सीन के व्यापक उत्पादन के लिए आगे क्या-क्या तैयारियां करनी हैं, इसकी रणनीति तय की जा रही है।
वहीं वादिम तरासोव ने कहा, “कोरोना महामारी के इस दौर में सेचेनोफ यूनिवर्सिटी ने ना केवल एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में, बल्कि एक वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान केंद्र के रूप में भी काम किया, जो दवाओं जैसे महत्वपूर्ण और जटिल उत्पादों के निर्माण में शामिल होने में सक्षम है।”
पूरी दुनिया में अब तक 70 लाख से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं
गिलिएड साइंसेज़, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और अमरीकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना – कोविड-19 की वैक्सीन विकसित करने में फिलहाल सबसे आगे हैं। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बनी वैक्सीन के शुरुआती नतीजे भी उत्साहवर्धक रहे हैं। वहीं, भारत में बनी वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल भी चल रहे हैं।
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