जुबिली स्पेशल डेस्क
कोलकाता. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) कानून के विरोध में जारी प्रदर्शन अब हिंसक रूप ले चुका है।
शनिवार को हुई झड़पों में बाप-बेटे समेत तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई पुलिसकर्मी और स्थानीय नागरिक घायल हुए हैं। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है, वहीं हाई कोर्ट ने केंद्रीय सुरक्षा बलों (CAPF) को प्रभावित इलाकों में तैनात करने का आदेश दिया है।
विरोध प्रदर्शन से हिंसा तक
हिंसा की शुरुआत सुती और शमशेरगंज इलाकों में शुक्रवार को हुई, जब जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में लोग वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरे।
देखते ही देखते विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया और प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-12 को अवरुद्ध करते हुए पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी। कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और पुलिस पर हमले भी किए गए।
मुख्यमंत्री का ऐलान भी नहीं रोक सका हिंसा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि राज्य सरकार वक्फ (संशोधन) कानून को बंगाल में लागू नहीं करेगी। इसके बावजूद लोगों का आक्रोश कम नहीं हुआ और हालात लगातार बिगड़ते रहे।
हाई कोर्ट सख्त, केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश
राज्य में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कोलकाता हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) तैनात करने का निर्देश दिया है, ताकि कानून-व्यवस्था को बहाल किया जा सके।
More than 400 Hindus from Dhulian, Murshidabad driven by fear of religiously driven bigots were forced to flee across the river & take shelter at Par Lalpur High School, Deonapur-Sovapur GP, Baisnabnagar, Malda.
Religious persecution in Bengal is real.
Appeasement politics of… pic.twitter.com/gZFuanOT4N
— Suvendu Adhikari (@SuvenduWB) April 13, 2025
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पुलिस की सख्ती और अपील
पुलिस का कहना है कि स्थिति अब नियंत्रण में है और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। छापेमारी जारी है और सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों से दूर रहने की अपील की है।
वक्फ (संशोधन) कानून को लेकर राज्य में कई अल्पसंख्यक समुदायों में संशय और असंतोष देखा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि नया कानून उनके धार्मिक अधिकारों और संस्थानों की स्वायत्तता को प्रभावित कर सकता है।
स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई है और पूरे राज्य के साथ-साथ केंद्र की भी नजर मुर्शिदाबाद पर टिकी हुई है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक और सामाजिक रूप से और भी गर्मा सकता है।