Saturday - 4 January 2025 - 7:45 PM

बांग्लादेश में विरासत को लेकर बवाल! नई किताबों में शेख हसीना के पिता मुजीबुर रहमान से ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि छीनी

जुबिली स्पेशल डेस्क

बांग्लादेश में इस वक्त काफी तनाव की स्थिति देखने को मिल रही है। दरअसल वहां पर लगातार हिंसा का दौर जारी है।

आलम तो ये रहा कि शेख हसीना को अपनी कुर्सी तक छोडऩी पड़ी और इसके बाद उनको अपना मुल्क छोडक़र भारत में रहने पर मजबूर होना पड़ा। इतना ही नहीं उनके मुल्क छोड़ने के बावजूद वहां पर हिन्दुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।

नई सरकार अब तक हिंसा पर काबू करने में पूरी तरह से नाकाम रही है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार लगातार पूर्व सरकार के फैसलों को पलटने में लगी हुई है। ताजा मामला है बांग्लादेश में स्कूली किताब में बड़ा बदलाव किया गया।

दरअसल पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश ने वहां पढ़ाई जाने वाली किताबों में बड़ा बदलाव करते हुए  देश की आजादी का ऐलान ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर रहमान ने नहीं बल्कि जियाउर रहमान ने किया था। नई किताबों में मुजीबुर रहमान की ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि को भी गायब कर दिया गया है।

नेशनल करिकुलम एंड टेक्स्टबुक बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर एकेएम रियाजुल हसन ने बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार को इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा है कि साल 2025 से पढ़ाई जाने वाली नई किताबों में ये बात साफ तौर पर लिखी होगी कि 26 मार्च, 1971 को जियाउर रहमान ने बांग्लादेश की आजादी का ऐलान किया था और 27 मार्च को उन्होंने बंगबंधु की ओर से देश के आजाद होने की घोषणा की थी।

दोनों को लेकर इसलिए मतभेद है

दरअसल बांग्लादेश की आजादी को लेकर दोनों ही नेताओं को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है।

कहा जाता है कि मुजीब के नेतृत्व में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वाली अवामी लीग का दावा है कि यह घोषणा ‘बंगबंधु’ मुजीब ने ही की थी जबकि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) जियाउर रहमान को इसका श्रेय देती है।

जियाउर रहमान ने बीएनपी बनाई थी। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि जियाउर रहमान मौजूदा वक्त में बीएनपी की प्रमुख खालिदा जिया के पति थे, वहीं शेख मुजीबुर रहमान कुछ महीने पहले बांग्लादेश में प्रधानमंत्री के पद से हटाई गईं शेख हसीना के पिता थे। इस वजह से दोनों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है।

इतना ही नहीं शेख हसीना के हटने के बाद से ही वहां पर इतिहास को बदला जा रहा है और जो कुछ भी पूर्व की सरकार ने फैसला लिया है उसे बदला जा रहा है और इसी के तहत अब नई किताबों में मुजीबुर रहमान की ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि को भी गायब कर दिया गया है।

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