मल्लिका दूबे
गोरखपुर। दोस्ती हो या दुश्मनी, सलामी दूर से अच्छी लगती है। सियासत में कोई सगा नहीं, ये बात सच्ची लगती है। संसदीय चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में उपज रहा आक्रोश राहुल-प्रियंका की मेहनत व मंशा को चोट पहुंचा रहा है। कल तक जो कांग्रेसी राहुल-प्रियंका के एक इशारे पर जी-जान लगा देने का दंभ भरते थे, आज उनके फैसले पर अनुशासनहीनता के हद तक गुस्सा दिखा रहे हैं। बस्ती मंडल की दो संसदीय सीटों पर कांग्रेस के भीतरखाने में नेतृत्व के फैसले के खिलाफ आग सुलग रही है।
बस्ती मंडल के तीन लोकसभा क्षेत्रों में से दो क्षेत्रों संतकबीरनगर और डुमरियागंज में कांग्रेस खुद लड़ेगी जबकि बस्ती की सीट उसने बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी के लिए छोड़ दी है। डुमरियागंज से अभी प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया गया है। संतकबीरनगर से कांग्रेस ने वहां के जिलाध्यक्ष परवेज खान को प्रत्याशी बनाया है। पखवारा पहले परवेज खान का नाम बतौर प्रत्याशी घोषित होते ही पूर्व प्रत्याशी रोहित पांडेय के समर्थक आक्रोशित हो गये। परवेज का पुतला फूंका और उनके बैनर पर कालिख पोत डाली। मामला तब रफा-दफा किया गया।
सोमवार को टिकट को लेकर एक गुट का आक्रोश फिर सतह पर आ गया। लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल के सह प्रभारी और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सचिन नाइक तैयारियों की समीक्षा करने पहुंचे थे। रोहित गुट के कार्यकर्ताओं ने ‘वापस जाओ” का नारा लगाकर समीक्षा के माहौल को तल्ख बना दिया। उनकी मांग थी कि नेतृत्व प्रत्याशी के नाम पर पुनर्विचार करे।
इसके पहले रविवार को बस्ती में भी बवाल मचा था। यहां भी कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सचिन नाइक को स्थानीय कांग्रेसियों ने खूब खरी खोटी सुनायी। कांग्रेसियों का कहना था कि यह सीट जन अधिकार पार्टी को देने की बजाय कांग्रेस अपना प्रत्याशी लड़ाए। हंगामे के दौरान सचिन नाइक जब सख्त हुए तो कुछ कांग्रेसियों ने अभद्र शब्दों का प्रयोग शुरू कर दिया। स्थिति राष्ट्रीय सचिव के बंधक बनाए जाने तक की आ गयी। जिलाध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय और पूर्व विधायक अम्बिका सिंह ने उन्हें आक्रोशित कार्यकर्ताओं के कोप से बचाते हुए मामले को संभाला अन्यथा बात और बिगड़ सकती थी।