जुबिली न्यूज डेस्क
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि एक खास कौम सरकारी तंत्र में घुसने का प्लान बना रही है, जबकि देश में संविधान और धार्मिक आजादी के नाम पर कट्टरता बढ़ रही है।
आरएसएस ने शनिवार को अपनी 2022 की सालाना रिपोर्ट में ये बाते कही।
रिपोर्ट के अनुसार, “संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता” की आड़ में देश में “बढ़ती धार्मिक कट्टरता” और “एक खास समुदाय की ओर से सरकारी तंत्र में एंट्री करने की विस्तृत योजना” है। इसने “इस खतरे को हराने” के लिए “संगठित ताकत के साथ हर संभव प्रयास” करने की अपील की है। संघ की वार्षिक रिपोर्ट गुजरात के अहमदाबाद शहर में आरएसएस की एक बैठक में पेश की गई थी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मुल्क में बढ़ती धार्मिक कट्टरता के विकराल रूप ने कई जगहों पर फिर सिर उठाया है। केरल और कर्नाटक में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्याएं इस खतरे का एक उदाहरण हैं। सांप्रदायिक उन्माद, रैलियों, प्रदर्शनों, संविधान की आड़ में सामाजिक अनुशासन का उल्लंघन, रीति-रिवाजों और परंपराओं और धार्मिक स्वतंत्रता को उजागर करने वाले नृशंस कृत्यों का सिलसिला बढ़ रहा है।
यह भी पढ़ें : …तो अब दुनिया में खत्म होने वाली है कोरोना इमरजेंसी?
यह भी पढ़ें : यूक्रेन के राष्ट्रपति ने बताया कि अब तक कितने रूसी सैनिकों ने किया आत्मसमर्पण
यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ के CM ने BJP को बताया यूपी में कितने में पड़ा विधायक
दीर्घकालिक लक्ष्यों के साथ इसे एक साजिश के रूप में सुझाते हुए रिपोर्ट यह भी कहती है, “एक विशेष समुदाय की तरफ से सरकारी तंत्र में प्रवेश करने के लिए विस्तृत योजनाएं मालूम पड़ती हैं। इन सबके पीछे ऐसा लगता है कि दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ एक गहरी साजिश काम कर रही है। संख्या के बल पर उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए कोई भी रास्ता अपनाने की तैयारी की जा रही है।”
वैसे, RSS की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं की ओर से स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनने के अपने अधिकार को लेकर विरोध प्रदर्शन फिलहाल जारी है।
यह भी पढ़ें : एमसीडी चुनाव टालने को लेकर केजरीवाल हुए नाराज, जानिए क्या है पूरा मामला
यह भी पढ़ें : यूपी और पंजाब में एक-एक सीट जीतने के बाद मायावती ने क्या कहा?
यह भी पढ़ें : भाजपा की बंपर जीत पर प्रशांत किशोर ने कही ये बात
विश्वविद्यालय कैंपसों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बढ़ते प्रभाव को लेकर RSS के भीतर चिंता बढ़ रही है।
हालांकि, संघ इस मसले पर सक्रिय रूप से शामिल नहीं हुआ है। वह मानता है कि इस मामले को स्थानीय रूप से संभाला जाना चाहिए था। संघ के वरिष्ठ नेताओं ने धार्मिक पहचान के दावे के माध्यम से पीएफआई की महत्वाकांक्षा के प्रमाण के रूप में विवाद को हरी झंडी दिखाई है।