न्यूज डेस्क
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। खबरों के माने तो कुछ जगहों पर हिंसक प्रदर्शन होने के वजह से 18 लोगों की मौत हो चुकी है। मुसलमानों को कानून में न जगह मिलने से नाराज लोग मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं।
देश में सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है और राजनीतिक दल इस पर अपनी रोटियां सेकने में व्यस्त हैं। इसके बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि संघ भारत की 130 करोड़ आबादी को हिंदू समाज मानता है, भले ही उनका धर्म और संस्कृति अलग हो।
भागवत ने कहा कि धर्म और संस्कृति के बावजूद जो लोग राष्ट्रवादी भावना रखते हैं, जो भारत की संस्कृति का सम्मान करते हैं वो सभी हिंदू हैं और आरएसएस देश के 130 करोड़ लोगों को हिंदू मानता है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संपूर्ण समाज हमारा है और समाज को एकजुट करना संघ का लक्ष्य है।
तेलंगाना के आरएसएस सदस्यों के लिए आयोजित तीन दिवसीय विजया संकल्प सभा के दौरान उन्होंने कहा, ‘भारत माता की संतान चाहे वह कहीं भी रहता हो, कोई भी भाषा बोलता हो, चाहे वह किसी भी स्वरूप की पूजा करता हो या फिर पूजा में विश्वास नहीं करता हो, वह हिंदू है… इस संबंध में, संघ के लिए भारत के सभी 130 करोड़ लोग हिंदू समाज है।’
विजय संकल्प शिविर में उपस्थिति लोगों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस सभी को स्वीकार करता है, उनके बारे में अच्छा सोचता है और उनकी बेहतरी के लिए उच्च स्तर पर ले जाना चाहता है।