न्यूज डेस्क
हाउडी मोदी का विरोध करने वाले अमेरिकी पत्रकार ने दावा किया है कि नार्वे में आतंकी हमला करने वाला आतंकी (जिसमें 77 लोग मारे गए थे) की प्रेरणा भारत का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) है।
17 सितंबर को अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की होने वाली रैली का विरोध करने वाले एक अमेरिकी पत्रकार पीटर फ्रेडरिक ने दावा किया है कि नॉर्वे में आतंकवादी एंडर्स ब्रेविक ने एक घोषणापत्र छोड़ा था, जिसमें बताया गया था कि वह दुनिया भर के अन्य चरमपंथी और राष्ट्रवादी समूहों से किस प्रकार प्रेरित था। ब्रेविक ने भारत में आरएसएस की ओर इशारा किया था।
‘द टेलिग्राफ’ की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘हाउडी मोदी’ का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों में शामिल कैलिफोर्निया के पत्रकार ‘पीटर फ्रेडरिक’ ने कहा था कि यदि वह भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत करते हैं, तो वह उनके अपराध का भागीदार बन जाएंगे।
‘द टेलीग्राफ’ ने ट्विटर पर फ्रेडरिक से बाचतीच का हवाला दिया है। इस दौरान फ्रेडरिक ने सीधे तौर पर पीएम मोदी और आरएसएस को निशाना बनाया।
‘द टेलीग्राफ’ ने अपनी रिपोर्ट में अमेरिकी पत्रकार के उस दावे का जिक्र किया है, जिसमें फ्रेडरिक ने कहा, “उसने आरएसएस के दक्षिणपंथी ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ और भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के लक्ष्य की सराहना की थी। उसने आरएसएस की सराहना इसलिए की थी, क्योंकि उनका प्रभाव सड़कों पर भी है और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और दंगा करते हैं।”
अमेरिकी पत्रकार फ्रेडरिक ने आगे कहा, ‘ब्रेविक ने कहा कि ‘श्वेत वर्चस्ववादियों’ और आरएसएस का लक्ष्य ‘समान’ हैं और उन्हें एक-दूसरे से सीखना चाहिए और यथासंभव सहयोग करना चाहिए।’
फ्रेडरिक यहीं नहीं रूके। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर निजी हमला करते हुए उन्होंने कहा कि “आरएसएस एक फासीवादी दस्ता है, जिसकी स्थापना 1925 में हुई थी। उसी साल हिटलर ने मीन कैम्फ को प्रकाशित किया था। आरएसएस नाजियों से प्रेरणा लेकर विकसित हुआ और इसी का नतीजा नरेंद्र मोदी हैं।”
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2011 में लोन-वुल्फ आतंकी हमले से पहले अमेरिकी पत्रकार पीटर फ्रेडरिक ने ब्रेविक के 1,518 पन्नों के घोषणापत्र का जिक्र किया।
फ्रेडरिक ने 17 सितंबर के विरोध के दौरान, 2002 के गुजरात दंगों के लिए मोदी को दोषी ठहराया और ह्यूस्टन सिटी के सभी 16 पार्षदों को भारतीय नेता और आरएसएस के बारे में जानकारी के साथ एक फाइल प्रस्तुत की।
फ्रेडरिक के अनुसार, “मोदी के हाथ खून से सने हैं। जो लोग स्वागत में मोदी से हाथ मिलाते हैं, वे भी उनके अपराधों में शामिल होने के कलंक से छुटकारा नहीं पा सकते।”
गौरतलब है कि हाल ही में फ्रेडरिक ने कारवां पत्रिका में एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसमें बताया था कि कैसे अमेरिका में आरएसएस से जुड़े हिंदू समूह डेमोक्रेटिक उम्मीदवार तुलसी गबार्ड को फंड कर रहे थे।
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