कृष्णमोहन झा
देश के अनेक राज्य सालभर के अंदर दूसरी बार कोरोना के प्रकोप का सामना कर रहे हैं और अब लोगों को वही संयम और सावधानी बरतने के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है जिसके बल पर गत वर्ष हमने भयावह कोरोना संकट पर विजय हासिल की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नवनिर्वाचित सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने अपना नया पदभार संभालने के पश्चात् गत दिनों उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में संघ द्वारा आयोजित होलिकोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जो सारगर्भित विचार व्यक्त किए हैं उसमें उन्होंने देशवासियों के इसी संयम साहस और धैर्य की भूरि भूरि प्रशंसा की है। बंगलुरू में संघ की प्रतिनिधि सभा की त्रिवार्षिक बैठक के बाद दत्तात्रेय होसबोले किसी प्रदेश में संभवतः पहली बार संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। संघ के सरकार्यवाह के इस संबोधन ने सर संघ चालक मोहन भागवत के उस संदेश की याद दिला दी है जो गत वर्ष मई माह में उन्होंने देशव्यापी लाक डाउन के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संघ के स्वयंसेवकों को दिया था।
सरसंघचालक उस समय अपने संदेश में भले ही स्वयं सेवकों को संबोधित कर रहे थे परन्तु वह संदेश सभी देशवासियों के लिए उपादेय था। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अब जबकि देश के अनेक राज्यों में कोरोनाकी दूसरी लहर ने दस्तक दे दी है तब सरसंघचालक के उस संदेश से प्रेरणा लेकर उसमें दी गई सलाह पर अमल करने की आवश्यकता है । संघ के नए सरकार्यवाह ने गत दिनों लखनऊ में संघ द्वारा आयोजित होलिकोत्सव कार्यक्रम मेंं जो सारगर्भित उद्बोधन दिया है वह भी कोरोना के बढ़ते खतरे का सफलता पूर्वक सामना करने के लिए लोगों को जागरूक और सतर्क होने की प्रेरणा देता है।
उल्लेखनीय है कि अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं के उद्भट विद्वान दत्तात्रेय होसबोले की सहज सरल भाषा में संवाद अदायगी का जो गुण उन्हें ईश्वर से वरदान स्वरूप मिला हुआ है वह संघ प्रमुख मोहन भागवत की भांति ही सबके साथ सहज ही उनका तादात्म्य स्थापित कर देता है और उनके द्वारा व्यक्त उदगार सीधे लोगों के दिलों में उतर जाते हैं। देश में कोरोना की दूसरी लहर के इस कठिन समय में होलिकोत्सव के अवसर पर लखनऊ में दत्तात्रेय होसबोले के सारगर्भित उद्बोधन का विशेष महत्व है।
सरकार्यवाह ने लखनऊ में आयोजित संघ के कार्यक्रम में अपने संबोधन की शुरुआत में देश के चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों, सफाई कर्मियों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के उन सभी समर्पित सेवाभावी लोगों को नमन किया जो अपनी जान जोखिम डाल कर अपने पुनीत कर्तव्य के पालन में जुटे रहे । इस अवसर पर उन्होंने देशकी सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों, वैज्ञानिकों और किसानों की अमूल्य सेवाओं के लिए’ जय जवान, जय किसान ,जय विज्ञान’नारे के साथ उनके प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त की।
सरकार्यवाह ने कोरोना संकट के दौरान समाज के गरीब और कमजोर तबके की मदद हेतु संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कोरोना काल में सेवा सहकारी और समन्वय की अद्भुत मिसाल कायम की। विशाल संघ परिवार में दत्ताजी के नाम से लोकप्रिय नवनिर्वाचित सरकार्यवाह ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि देश अभी कोरोना संकट से मुक्त नहीं हुआ है इसलिए हमें पहले की भांति ही आगे भी सजग और सतर्क रहने की आवश्यकता है। कोरोना से बचाव के लिए जो गाइड लाइन निर्धारित की गई हैं हमें उनका पूरी तरह पालन करना चाहिए। कठिन चुनौती के समय भी धैर्य न खोते हुए संतुलन बनाए रखना ही भारतीय संस्कृति की विशेषता है।
उल्लेखनीय है कि दत्तात्रेय होसबोले ने गत दिनों बंगलुरू में संपन्न राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में सर्वसम्मति से सरकार्यवाह निर्वाचित होने के बाद अपनी प्रथम पत्रकार वार्ता में भी कोरोना संकट का विशेष उल्लेख किया था । उन्होंने कहा था कि लाक डाउन के दौरान संघ के स्वयंसेवक अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर समाज के गरीब और कमजोर तबके के लोगों को हरसंभव सहायता पहुंचाने के काम में जुटे रहे। भारतीय समाज ने इस अनपेक्षित घटनाक्रम के दौरान सेवा , आत्मीयता और सामाजिक एकजुटता की एक नई गाथा रची।
संघ की बैठक में कोरोना संकट काल में जरूरतमंदों की मदद के पुनीत अभियान में अपना निस्वार्थ योगदान करने वाले समाज के सभी वर्गों के प्रति साधुवाद व्यक्त किया गया। उक्त बैठक में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया गया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौती के संदर्भ में भारतीय समाज के समन्वित और समग्र प्रयासों को संज्ञान में लेते हुए तथा उसके भीषण परिणामों के नियंत्रण हेतु समाज के प्रत्येक वर्ग के द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा उसका हार्दिक अभिनन्दन करती है। जिन कोरोना योद्धाओं ने कर्तव्य पालन करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कोरोना संक्रमण के कारण काल का शिकार बने हजारों लोगों को संघ की बैठक में श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष राष्ट्र के नाम अपने संबोधनों में हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया था कि हमें एक ओर जहां साहस पूर्वक कोरोना के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखना है वहीं दूसरी ओर इस आपदा को अवसर में बदलने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ना है। सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी गत वर्ष मई में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री के इस आहृवान का समर्थन किया था।इसी संदर्भ में सं प्रमुख ने स्वदेशी की अवधारणा को अपने आचरण में उतारने की आवश्यकता प्रतिपादित की थी। संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण की कठिन चुनौती ने समाज की आंतरिक शक्ति और प्रतिभा को सामने आने का अवसर प्रदान किया। इस वैश्विक संकट में हमने अपनी वसुधैव कुटुंबकम् की प्राचीन परंपरा का निर्वाह करते हुए शुरू में आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति की फिर वैक्सीन मैत्री अभियान के माध्यम से विश्व में सहयोग का हाथ बढ़ाया। इस वैश्विक महामारी में हमें समग्र वैश्विक दृष्टि, सदियों से चली आ रही परंपराओं और विकेंद्रित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की शक्ति और सामर्थ्य की अनुभूति भी हुई है।कोरोना काल में दुनिया के अनेक विशेषज्ञों ने भारत की एकात्म दृष्टि और उस पर आधारित दैनंदिन जीवन पद्धति के महत्व को स्वीकार किया है।
संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने कोरोना संकट में हुए अनुभवों से मिले पाठ को सामाजिक और पारिवारिक जीवन में अपनाते हुए स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के मंत्र को जीवन में उतारने का आह्वान किया।
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संघ के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद संपन्न पत्रकार वार्ता में और लखनऊ में संघ द्वारा आयोजित होलिकोत्सव कार्यक्रम में अपने जो विचार कोरोना संकट के संदर्भ में व्यक्त किए हैं उनमें इस दृढ़ विश्वास की गूंज स्पष्ट सुनी जा सकती है कि भारतीय समाज अपने अटूट विश्वास और दृढ़ता के साथ कोरोना की कठिन चुनौती का सामना करते हुए उस पर विजय प्राप्त करेगा परंतु इसके साथ ही हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना का खतरा अभी बना हुआ है इसलिए सभी सुरक्षात्मक उपायों को अपने आचरण में उतारते हुए ही हमें अपनी लड़ाई जारी रखना है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह लेखक के निजी विचार हैं)