न्यूज डेस्क
बरेली पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को रुहेलखंड विश्वविद्यालय में अपने संबोधन के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि हम भारत की कल्पना कर रहे है और भविष्कालीन भारत तैयार कर रहे है।
संघ प्रमुख ने ‘भविष्य का भारत पर आरएसएस का दृष्टिकोण’ विषय पर बोलते हुए कहा कि हम भारत की कल्पना कर रहे हैं, भविष्य का भारत तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साल 1940 से पहले तक समाजवादी, कम्युनिस्ट और अन्य सभी राष्ट्रवादी थे। साल 1947 के बाद बिखरे थे।
संघ प्रमुख ने कहा कि भारत रूढ़ियों और कुरीतियों से पूरी तरह मुक्त हो, 7 पापों से दूर रहे और वैसा हो जैसा गांधीजी ने कल्पना की थी। उन्होंने कहा कि देश के संविधान में भविष्य के भारत की कल्पना की गई है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि संघ को समाप्त करने वाले खुद समाप्त हो गए। भागवत ने कहा, ‘मुझ से पूछा गया कितने बच्चे हों, मैंने कहा सरकार और सब तय करें, नीति बने, अभी पता नहीं, जनसंख्या समस्या और समाधान दोनों है।’
रूढ़ियों और कुरीतियों से मुक्त एकात्म निर्भय स्वाभिमानी भारत की कल्पना रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने की थी। गांधी जी ने भी सात पापों से मुक्त भारत की कल्पना की थी। संघ के भविष्य के भारत की कल्पना किसी से अलग नहीं है। सबके शब्द अलग हैं लेकिन भाव एक है।
उन्होंने आगे कहा कि 70 साल पहले तक सबकी सहमति थी लेकिन अब तक साकार क्यों नहीं हुई। इस्राइल समेत कई देश हमारे साथ चले, हमसे आगे निकल गए मुठ्ठी भर यहूदियों ने रेगिस्तान को नंदन वन बना दिया। हम बार-बार गुलाम होते रहे, इसलिए बार बार स्वतंत्र होते रहे। मुट्ठी भर लोग आते है और हमे गुलाम बनाते है। ये इसलिए कि हमारी कुछ कमियां है। भारत जमीन का टुकड़ा नहीं स्वभाव और प्रवर्ति है। जमीन का टुकड़ा होता तो पाकिस्तान हो गया होता, नाम बदल गया होता।
आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि भारत की पहचान में बाधा न बनें। 130 करोड़ लोग हिन्दू है। हम किसी को बदलने की बात नहीं कर रहे हैं। पर भूत में जो लोग हिन्दू नहीं होना चाहते थे, वो लोग ही राष्ट्र से अलग हो गए। संघ मनुष्य निर्माण करता है। संघ के लोग राजनीति से लेकर संस्कार तक हैं। संघ के पास कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है। संघ का कोई एजेंडा नहीं है। भारत तो संविधान से चलता है। हम संविधान का सम्मान करते हैं। वह सबकी सहमति है।