जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत को जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है। उन्होंने विजयादशमी उत्सव के मौके पर नागपुर के रेशमीबाग में आज (5 अक्टूबर) संघ कार्यकर्ताओं के बीच अपनी बात रखी है।
इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित कई मामलों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने असंतुलन की क्या वजहों को बताया और असंतुलन के कारण भी गिनाए। उन्होंने कहा, ‘जन्मदर में अंतर के अलावा जबरन, लुभाकर या लालच से धर्मांतरण और घुसपैठ भी इसके बड़े कारण हैं।’
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा , ‘जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ धार्मिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी बहुत जरूरी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’उन्होंने कहा, ‘जनसंख्या को संसाधन की जरूरत होती है। अगर यह संसाधन को बढ़ाए बगैर बढ़ेगी, तो बोझ हो जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘यदि इसका सही इस्तेमाल हो तो यह साधन भी है। एसेट्स भी है। किसी भी देश में 57 करोड़ युवाओं की संख्या नहीं है। हमारा पड़ोसी देश चीन बुजुर्ग हो चला है। लेकिन हमें विचार को समझना होगा।’
मोहन भागवत ने कहा कि मातृशक्ति को बराबर का अधिकार देना और परिवार में निर्णय स्वतंत्रता देना जरूरी है। जो काम पुरुष कर सकता है वह सभी काम मातृशक्ति कर सकती है, लेकिन जो-जो काम मातृशक्ति कर सकती है, वह सभी काम पुरुष नहीं कर सकता।
महिलाओं के समावेश के बिना पूरे समाज की संगठित शक्ति खड़ी नहीं हो सकेगी और जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे संगठन की कोशिश पूरी नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि भारत की प्रगति न हो। वे सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ते हैं, हमारे बीच दूरियां बढ़ाने की कोशिश करते हैं. इन लोगों की कोशिश है कि देश में आतंक बढ़े, अराजकता का वातावरण बने लोगों में नियम कानून के प्रति सम्मान ना रहे।
शासन ऐसे लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है।उन्होंने कहा कि सभी लोगों को इसमें शासन की मदद करनी होगी। महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मुख्यालय में दशहरा पर्व पर शस्त्र पूजा की गई।