अविनाश भदौरिया
राम मंदिर मामले पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सुप्रीम कोर्ट से आने वाले फैसले को खुले मन से स्वीकर करने की बात कही है। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि आगामी दिनों में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के वाद पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने की संभावना है। निर्णय जो भी आए, उसे सभी को खुले मन से स्वीकार करना चाहिए। निर्णय के पश्चात देश भर में वातावरण सौहार्द्रपूर्ण रहे, यह सबका दायित्व है। इस विषय पर भी बैठक में विचार हो रहा है।
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय के संभावित फैसले को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की प्रचारक वर्ग की बैठक दिल्ली में बुधवार से शुरू हुई। पहले यह बैठक 30 अक्टूबर से पांच नवंबर तक हरिद्वार में होनी थी। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी प्रमुख रूप से भाग ले रहे हैं।
इस सम्बन्ध में वरिष्ठ पत्रकार राजीव ओझा जी का कहना है कि, अच्छी बात है कि सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा बनाए हुए हैं और उसके फैसले को स्वीकार करने की बात कह रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट का जो फैसला है उसके इर्दगिर्द ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की अधिक सम्भावना है।
क्या है हाईकोर्ट का फैसला
30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया था। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला है।
हालांकी 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई। इसके बाद 21 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही। लेकिन कई लोगों के प्रयासों के बावजूद आपसी सहमति से हल नहीं निकल सका। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामले की नियमित सुनवाई हुई। वहीं 16 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है।
यह भी पढ़ें : लेबनान के पीएम के इस्तीफे का सोशल मीडिया से क्या है कनेक्शन
यह भी पढ़ें : …तो महाराष्ट्र में होगी डबल इंजन की सरकार
यह भी पढ़ें : पहलू खान और उसके बेटों के खिलाफ दर्ज गो-तस्करी की FIR होगी रद्द