- दस लाख करोड़ रुपए का निवेश लाना सीएम योगी का नया टार्गेट
लखनऊ. बिजनेस में अपने को अव्वल साबित कर चुके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब दस लाख करोड़ रुपए का निवेश लाने की मुहिम में जुट गए हैं. इतना बड़ा निवेश लाने के लिए योगी सरकार अगले वर्ष ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समिट की शुरुआत करेंगे. तीन दिन होने वाले इस समिट में देश तथा विदेश के बड़े औद्योगिक घरानों के मुखिया हिस्सा लेंगे. इस समिट देश तथा विदेश के बड़े उद्योगपतियों को लाने के लिए यूपी का इंडस्ट्री विभाग सितंबर से 17 देशों में रोड शो की शुरुआत करेगा.
इंडस्ट्री विभाग के आला अफसरों ने इन रोड शो की तैयारियां शुरू कर दी हैं. बताया जा रहा है कि विदेश में होने वाले रोड शो की शुरुआत दुबई से की जाएगी. इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम (यूके), नीदरलैंड्स, जर्मनी, फ़्रांस, जापान, सिंगापुर, साऊथ कोरिया, इस्राइल, ऑस्ट्रेलिया, आस्ट्रेलिया, यूएई, अमेरिका, कनाडा, थाईलैंड, बेल्जियम, स्वीडन और रूस में भी रोड शो का आयोजन किया जाएगा.
इन रोड शो का मकसद उद्यमियों को प्रदेश की नीतियों को जानकारी देना और यहां निवेश के लिए असीम संभावनाओं के बारे में बताना होगा. इन रोड शो की तैयारियों के लिए इंडस्ट्री विभाग के अधिकारी लगातार ऐसे विदेशी उद्यमियों के संपर्क में हैं, जो प्रदेश में निवेश के इच्छुक हैं. विदेश के साथ-साथ देश में मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और दिल्ली में भी रोड शो आयोजित किए जाएंगे. राज्य के मुख्य सचिव ने इन रोड शो के आयोजना को समीक्षा बीते दिनों कर उसे अपनी मंजूरी दे दी है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले वर्ष होने वाले ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश लाने का लक्ष्य रखा है. 2018 में हुए इंवेस्टर्स समिट में 4.60 लाख करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए थे. अब 10 लाख करोड़ रुपए का नाय नए निवेश यूपी में लाने के लिए सूबे की 27 पॉलिसी में भी कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं.
जिसके क्रम में प्रदेश सरकार औद्योगिक नीति लाने के साथ ही नई जैव और ऊर्जा नीति भी ला रही है. इसके अलावा यूपी की औद्योगिक नीति समेत 27 सेक्टोरल नीतियों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद कराने का फैसला भी किया गया है. ताकि विदेश में रोड शो के दौरान ही वहां के निवेशकों को उनकी भाषा में नीतियों की प्रतियां उपलब्ध कराई जा सके. पहले चरण में जर्मन, फ्रेंच, जापानी, अंग्रेजी आदि भाषाओं में इन नीतियों के अनुवाद की तैयारी की गई है।