जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। कोविड-19 वैश्विक महामारी में डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा लगाई जा रही ड्यूटी में हेरा फेरी का मामला सामने आया है। संस्थान में लगायी जाने वाली ड्यूटी में सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सभी नियम कानून ताक पर रखकर ड्यूटी लगाए जाने से स्टाफ में निराशा का माहौल है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नामी गिरामी अस्पतालों में शामिल डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में नियम कानून को दरकिनार कर ड्यूटी लगाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।
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आरोप है कि बड़े अधिकारी और कर्मचारी अपने अधीन छोटे अधिकारी तथा कर्मचारी से काम कराना चाह रहे हैं, जिसके कारण किसी भी संवर्ग में एक तरफ से ड्यूटी नहीं लगाई जा रही है, बल्कि यहां पिक एंड चूज के आधार पर ड्यूटी करवाई जा रही है।
ये भी पता चला है कि जिसकी अधिकारियों तक पैठ है उसकी ड्यूटी नहीं लगाई जा रही है, जिसकी पहुंच नहीं है उसकी ड्यूटी लगाई जा रही। हीलाहवाली का नतीजा ये है कि पदों की जेष्ठता के आधार पर उनकी ड्यूटी होनी चाहिए लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं हो रहा है।
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कोविड-19 की ड्यूटी ऐसी ड्यूटी है कि हर कर्मचारी चाहता है कि मेरी ड्यूटी ना लगे क्योंकि वहां पर हमेशा संक्रमण होने का आसका का बना रहता है? और ऐसे समय किसको अपनी जान की फिक्र नहीं होगी, ऐसे में सीनियर अधिकारी लोग अगर अपनों पर रहम करते रहे तो दूसरों का क्या होगा?
जबकि नर्सिंग ग्रेड के सभी कर्मचारियों की एक जेष्ठता सूची बनी हुई है वैश्विक महामारी को देखते हुए सभी की ड्यूटी इस सूची के आधार पर लगायी जानी है, लेकिन फिर भी इसमें मनमानी कर पिक एंड चूज लगातार किया जा रहा है, जिससे कर्मियों में रोष है।
बात यही नहीं खत्म नहीं होती ड्यूटी लगाने वाले अधिकारी उच्च अधिकारियों से मिलकर अपनी मनमर्जी कब तक करते, पानी सर से ऊपर गया तो शिकायत हुई, लेकिन वो भी कही अंधकार में खो गयी…
मामला तब और रोचक हो जाता है जब ये पता चलता है कि नर्सिंग ग्रेड वन तथा नर्सिंग ग्रेड-2 का कार्य वार्ड में मरीजों पर इलाज करना है, एएनएस और डीएनएस का कार्य वार्डों का सुपर विजन करने का है लेकिन कोविड-19 में एएनएस और डीएनएस अपनी ड्यूटी नहीं कर रहे हैं और अपने स्थान पर जिनसे व्यक्तिगत लाभ हो रहा है, उनसे कार्य करवा रहे है।
नर्सिंग ग्रेड वन के कर्मचारियों को तैनात कर उनसे नर्सिंग सुपरवाइजर का कार्य लिया जा रहा है और जिनको सुपरवाइजर की ड्यूटी करनी थी वह घर बैठे आराम फरमा रहे हैं। ड्यूटी भी पूरे ग्रेड-1 के कर्मचारियों की लगती है जो एएनएस और डीएनएस के करीबी लोग हैं जिनसे उनको व्यक्तिगत लाभ होता उनको वार्ड में काम ना करना पड़े इसलिए उनकी ड्यूटी सुपरवाइजर में लगाने की बात सामने आयी हैं।
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नर्सिंग ग्रेड- 2 के कर्मचारियों का काम वार्ड में मरीजों की देखरेख का होता है, लेकिन इनकी भी ड्यूटी सीरियल से नहीं लगाई जा रही है। इसमें भी चाहने वाले लोगों को छोड़ दिया जा रहा है और बीच- बीच में ड्यूटी लगाने की बात सामने आयी है, जिससे कर्मचारियों में घोर निराशा है।
सीरियल से ड्यूटी लगाने के लिए कुछ कर्मचारी निदेशक से मिले और पत्र देकर पूरे मामले की जानकारी भी दी लेकिन कुछ कार्यवाही करने के बजाय उन्हें फिर आश्वासन ही मिला। कर्मचारियों की मांग थी ड्यूटी सभी संवर्ग की सीरियल से लगाई जाए लेकिन किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई।
इनको पहुंचाया गया फायदा
शायरा बिसको इनके जेष्ठता क्रमांक 30 है
कालिंदी ग्रेट वन की स्टाफ इनका जेष्ठता क्रमांक 20 है
चेतना चौधरी इनका जेष्ठता क्रमाक 61 है
कंचन सोनकर इनका जेष्ठता कर्मा 66 है
नेहा चौरसिया इनका जेष्ठता क्रमांक 77 है
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ये सभी कर्मचारी ग्रेड-1 के हैं और सभी से सुपरवाइजर का काम लिया गया, इस दौरान सुपरवाइजर घर पर बैठकर आराम फरमाते रहे। इसके अलावा अब हम बताने जा रहे हैं ऐसे कर्मचारी जो नर्सिंग ग्रेड वन के हैं लेकिन उनसे कार्य नर्सिंग ग्रेड- 2 का लिया जा रहा है।
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शर्मिला यादव इनका जेष्ठता क्रमांक 81 है
नेहा सिंह इनका जेष्ठता का क्रमांक 29 है
सुमन यादव इनका जेष्ठता क्रमांक 70 है
इस तरह से पिक एंड चूज करके संविदा पर कार्य करने वाले नर्सिंग स्टाफ के साथ भी किया जा रहा है। संविदा पर कार्य करने वाले नर्सिंग स्टाफ कि भी ड्यूटी सीरियल से नहीं लगाई जा रही हैं। जिसका कर्मचारियों में रोष है और सीनियर अधिकारियों के दबाव में काम करने को मजबूर है।
मजे की बात ये है कि इनकी मज़बूरी की दास्तां को मजाक बनाकर खुद चिकित्सा अधीक्षक कोई सख्ती बरतने में आगे आते हुए नजर नहीं आ रहे है और निदेशक भी चुप्पी साधे हुए है, जिससे उनकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे है?
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