जुबली न्यूज़ डेस्क
पिछले 9 जून को जुबिली पोस्ट ने खबर की थी कि लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में किस तरह से अपने चहेतों से पिक एंड चूज के आधार पर ड्यूटी करवाई जा रही है। खबर लगने के बाद भी खेल जारी है। संस्थान के सूत्रों के अनुसार डीएनएस का कहना है कि खबर ऐसे ही लगती रहती है, होता कुछ नहीं है और दबाव डालकर पीड़ित कर्मचारियों से लिखवाया जा रहा है कि उन्हें कोई शिकायत नहीं है।
एक और कारनामा, काफी जूनियर कर्मचारी को दे दिया चार्ज
अब एक और कारनामा हुआ है जिससे कर्मचारियों में काफी रोष है। सिस्टर ग्रेड 2 के पदों पर 112 कर्मचारियों के जेष्ठता सूची में क्रमांक 1 से लेकर 17 तक के कर्मचारियों को वर्ष 2017 से पहले सिस्टर ग्रेड 2 से सिस्टर ग्रेड वन में पदोन्नत किया गया।
क्रमांक 18 से 45 तक के सिस्टर ग्रेड 2 के कर्मचारियों की पदोन्नति वर्ष 2017 में की गयी। वर्ष 2018 में क्रमांक 46 से 84 तक के सिस्टर ग्रेड 2 के कर्मचारियों का पदोन्नयन किया गया।
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क्रमांक 55 वाले व्यक्ति को वार्ड का चार्ज दिनांक 18 मई 2020 को ट्रामा सस्पेक्टेड वार्ड के साथ इमरजेंसी ओपीडी का इंचार्ज दे दिया गया। जबकि वरिष्ठता क्रमांक 1से 55 के बीच कई लोंगो को इग्नोर कर दिया गया। क्रमांक 20 व 22 की कालिन्दी और तप्ति राय ने काफी विरोध किया तो उन्हें 3 जून 2020 को चार्ज दे दिया गया और अब क्रमांक 55 से ऊपर वाले कर्मचारी मानसिक रूप से कुंठित हो रहे हैं क्योंकि उनके पास ऐसा कोई जरिया नहीं है। चर्चा है भी है कि इसी तरह अनुग्रह नाम एक और जूनियर व्यक्ति चूंकि डीएनएस और अधिकारियों के खास हैं इसलिए सभी लोगों को सुपर सीड करके उनको वार्ड का चार्ज दिया गया है।
विवाद क्यों है
आरएमएल संस्थान में जिन कर्मचारियों की पदोन्नति सिस्टर ग्रेट वन के पद पर हो जाती है और उनको वार्ड का चार्ज मिल जाता है तो वह मरीजों का किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं करते। केवल सुपर विजन का कार्य करते हैं । इसीलिए जिन कर्मचारियों का अधिकारियों से नजदीकी संबंध होता है और जो अधिकारियों/डीएनएस के खास होते हैं उनको वार्डों का चार्ज दिया जाता है जिससे उनको मरीजों का कार्य ना करना पड़े।
इस समय जबकि कोविड-19 के मरीज आ रहे हैं उनकी देखभाल ना करना पड़े इसलिए ड्यूटी लगाने वाले अधिकारी अपने नजदीकियों को वार्डों का चार्ज देने में लगे हुए हैं जबकि सीनियारिटी लिस्ट से वार्डों का चार्ज एक तरफ से मिलना चाहिए।
नहीं हुई कोई कारवाई
जुबली पोस्ट की ड्यूटी में हेराफेरी की खबर के बाद भी राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के डीएनएस के ऊपर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। जानकार बताते हैं कि, इसी तरह की ड्यूटी में हेराफेरी एसजीपीजीआई की सीएनओ द्वारा भी किया जा रहा था। मामला प्रकाश में आने पर सीएनओ को हटा दिया गया। सिस्टर ग्रेड के पदों पर कार्य करने की जो ड्यूटी और रूल ऐम्स और एसजीपीजीआई का है वही डॉक्टर आरएमएल आईएमएस संस्थान में भी लागू होता है। कारवाई न करके रोस्टर गोपनीय करना संकेत है कि अधिकारी या तो मजबूर हैं या फिर संलिप्त हैं।
ड्यूटी रोस्टर कर्मचारियों के लिए है, फिर गोपनीय क्यों ?
संस्थान का ड्यूटी रोस्टर जिसमें निदेशक महोदय के हस्ताक्षर होते हैं। 15 जून तक का रोस्टर इस प्रकार था।
लेकिन इस बार 16 जून से 30 जून का रोस्टर गोपनीय है। कर्मचारियों का कहना है कि डीएनएस कामिनी कपूर ड्यूटी रोस्टर छिपा रही हैं और इसमें उच्च अधिकारी सम्मिलित हैं। तथा उच्च अधिकारियों के जानने वाले लोग तथा कामनी कपूर के जानने वाले लोगों कि ड्यूटी ना लगे इसलिए छुपाया जा रहा।
रोस्टर गोपनीय रखने से होगा बड़ा नुकसान
कर्मचारियों के अनुसार कोविड वार्ड में ड्यूटी करने वालों से रोस्टर गोपनीय नहीं रखा जा सकता है क्योंकि कोई दुर्घटना होने पर कर्मचारी सरकार से मिलने वाली अनुग्रह राशि से वंचित हो सकता है क्योंकि उन्हें आशंका है कि रोस्टर में भी हेरा फेरी की जा सकती है। अब देखना है कि कोरोना संकट काल में सरकार कोई कारवाई करती है या फिर हेरा फेरी करने वालों का मनोबल बढ़ाती है।
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