जुबिली न्यूज डेस्क
पटना: लालू यादव की पार्टी आरजेडी की तरफ से संविधान दिवस के मौके पर एक पोस्टर लगाया गया। ये पोस्टर ‘समाजवाद के उत्तराधिकारी’ नाम से लगा है। पोस्टर में समाजवादी नेताओं की तस्वीरें भी लगाई गईं। जिसमें 30 नाम तस्वीरों के साथ रखे गए हैं। हालांकि, चौंकाने वाली बात ये है कि इस पोस्टर में नीतीश कुमार का नाम नहीं है। समाजवादी नेताओं की लिस्ट से नीतीश कुमार का नाम आउट दिखा। पोस्टर में ऊपर की तरफ समाजवादी नेताओं को उत्तराधिकारी के तौर पर पेश किया गया है।
इसमें सबसे ऊपर लालू और तेजस्वी की तस्वीरें हैं, फिर दिवंगत समाजवादी नेताओं की तस्वीर भी मौजूद हैं। आरजेडी दफ्तर के बाहर लगाए गए इस पोस्टर में तमाम समाजवादी नेताओं का जिक्र किया गया, लेकिन इस पोस्टर में cm नीतीश को जगह नहीं दी गई। ऐसा माना जा रहा कि इस पोस्टर का मकसद लालू और तेजस्वी को समाजवादी नेता बताना है, वहीं, नीतीश कुमार की समाजवादी राजनीति की लकीर मिटाने की कोशिश भी।
लिस्ट से नीतीश को आउट?
पटना के मिलर ग्राउंड पर जेडीयू ने भीम सांसद का आयोजन किया। इस दौरान नीतीश कुमार ने समाजवादी सिद्धांत के अनुसार सबके विकास की बात कही। ना केवल गरीब, पिछड़े और अति पिछड़े की ही नहीं बल्कि सवर्ण और आर्थिक रूप से पिछड़ों का जिक्र किया। इस दौरान सीएम नीतीश ने गांधी मैदान से ही 2005 के वक्त का और उससे पहले का जिक्र किया।
रैली के दौरान यह बताने की कोशिश कि कैसे उन्होंने बिहार का विकास किया। जंगल राज से मुक्ति दिलाई। नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार से लॉ एंड ऑर्डर खत्म हो चुका था। लड़कियों-महिलाओं का शाम के बाद घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं था। नीतीश ने कहा कि आज हम सबका विकास कर रहे हैं। सभी के बारे में सोच रहे हैं। नीतीश कुमार के भाषण के बाद ये पोस्टर आरजेडी दफ्तर में पोस्टर लगाया गया।
नीतीश की बातों से आरजेडी को लगी मिर्ची?
माना जा रहा है 2005 का जिक्र और ‘जंगलराज’ के बात की वजह से आरजेडी खेमे में नाराजगी है। इससे पहले भी सीएम नीतीश ने जब-जब 2005 से पहले की कहानी मंच से सुनाई राजद की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है। दोनों दलों के नेताओं के बीच भी तल्खियां देखी गईं। अब एक बार फिर सीएम नीतीश ने मिलर हाई स्कूल के ग्राउंड से 2005 के पहले के जंगलराज की कहानी सुना कर और आरजेडी को उकसा दिया है। माना जा रहा कि इसी बात का नतीजा है कि आरजेडी की तरफ से 30 समाजवादी नेताओं की लिस्ट लगाई गई है। हालांकि इस लिस्ट में सभी वरिष्ठ और दिवंगत नेता शामिल हैं। हालांकि, अकारण ही नीतीश की समाजवादी छवि की लकीर को मिटाने की कोशिश इसमें की गई है।
नीतीश की लकीर मिटाने की कोशिश!
बिहार के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो जॉर्ज फर्नांडीज और शरद यादव जैसे दिवंगत नेताओं के बाद लालू और नीतीश कुमार ही समाजवादी नेताओं का चेहरा रहे हैं। हालांकि, सीएम नीतीश की तरफ से मिलर ग्राउंड में 2005 का जिक्र करने के तुरंत बाद राजद की तरफ से पोस्टर लगाना सवाल खड़े करता है।
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इसमें जिस तरह से लालू-तेजस्वी को समाजवादी नेताओं उत्तराधिकारी बताया गया ये भी चौंकाने वाला है। माना जा रहा कि ये नीतीश कुमार की समाजवादी लकीर मिटाने की कोशिश का नतीजा है। खास बात ये है कि लालू नीतीश दोनों गठबंधन में सरकार चला रहे हैं। बावजूद नीतीश कुमार को पोस्टर में जगह न देना सवाल खड़े करता है।