जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित लोक संगीत कार्यशाला का आज समापन हो गया. प्रदेश के संस्कृति, पर्यटन व धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने अकादमी द्वारा अवधी-भोजपुरी संस्कार गीतों की ऑनलाइन लोकसंगीत कार्यशाला के समापन के मौके पर प्रतिभागियों से कहा कि अपनी संस्कृति ही अपनी पहचान होती है, और इसको संरक्षित और सवंर्धित करना हमारी ज़िम्मेदारी है.
संस्कार गीतों की कार्यशाला के आयोजन की प्रशंसा करते हुए संस्कृति मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि अपने संस्कार गीतों को रिकार्ड करके उन्हें संरक्षित किया जाए, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर और एक उपहार होगी. उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन समय-समय पर होते रहने चाहिए.
बीस दिन की यह ऑनलाइन कार्यशाला गोरखपुर के प्रसिद्ध लोकगायक राकेश श्रीवास्तव के निर्देशन में छह जून से चल रही थी. इस लोक संगीत कार्यशाला में प्रदेश से गोरखपुर, लखनऊ, महाराजगंज, बस्ती, गाजीपुर व सिद्धार्थनगर आदि शहरों के साथ ही बिहार, मध्यप्रदेश व हरियाणा आदि राज्यों से लगभग 65 प्रतिभागी शामिल हुए.
डॉ. तिवारी ने अकादमी और कार्यशाला निर्देशक को बधाई देते हुए कहा कि लोकगीत हमारे संस्कारों के साथ जुड़े हुए हैं. यह हमारी धरोहर हैं. परम्परा में यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होते आए हैं, लेकिन पश्चिमी अंधानुकरण में आज की नई पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक धरोहरों से दूर होती जा रही है. ऐसे में संगीत नाटक अकादमी का संस्कार गीतों की कार्यशाला का यह आयोजन अत्यंत सराहनीय है.
कोविड-19 की बदौलत इस वर्ष कार्यशालाएं ऑनलाइन हो रही हैं. इसका एक बड़ा लाभ यह हुआ कि कार्यशाला में किसी एक शहर के प्रतिभागी न होकर प्रदेश के कई शहरों के साथ ही अन्य प्रदेशों के लोगों को इसमें शामिल होने का अवसर मिला. कई संस्कार गीतों के बारे में जिज्ञासा प्रकट करते हुए संस्कृति मंत्री ने प्रतिभागियों से पूछा कि यहां ‘गारी’ और ‘पितर नेवतनी’ भी सिखाया गया या नहीं? इस पर प्रतिभागियों ने गारी, सोहर आदि सुनाया.
संस्कृति मंत्री लगभग पौन घण्टे तक ऑनलाइन रहकर कार्यशाला से जुड़े रहे और आनंदित होते हुए प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते रहे.
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इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में ऑनलाइन समापन समारोह में शामिल हुए सांसद व अभिनेता रवि किशन ने कहा कि भोजपुरी में बहुत मिठास है. यहां कार्यशाला में नई पीढ़ी अपने पारम्परिक गीतों के प्रति बहुत उत्साहित दिख रही है. निश्चित ही हमे अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए. कार्यशाला निर्देशक ने भी संस्कार गीतों के संरक्षण पर बल देते हुए संकलन तैयार करने की जरूरत बतायी.
समापन पर उमा त्रिगुणायत, अलका भटनागर, अंबुज अग्रवाल, पूजा उपाध्याय, प्रीति सिंह मनीष पांडे, अंशिका सिंह, अवंतिका दुबे, बृजेश, चंद्रवदन, दिनेश, मोनू वर्मा, तान्या, भारती श्रीवास्तव, साक्षी श्रीवास्तव, प्रियंका विश्वकर्मा, सीमा राय, मनीषा शर्मा व श्रद्धा मिश्रा ने संस्कार गीतों की प्रस्तुतियां दीं