नवेद शिकोह
- दो बच्चियों की दास्तान में ढूंढिए सिस्टम और समाज की गुत्थी डोर का सिरा
- रीता बहुगुणा की पोती की मौत ने खड़ा किया बड़ा सवाल !
समाज का पहला चेहरा –
पटाखा क्या हो गया परमाणु बम हो गया। ढंग से त्योहार तक नहीं मना सकते। पटाखों पर पाबंदी को यूपी में इतनी सख्ती से लागू किया गया कि देखकर मन उदास हो गया। बुलंदशहर की बच्ची रोती-बिलखती रही और पटाखा बेचने के आरोप में उसके पिता को पुलिस उठा कर ले गई।
समाज का दूसरा चेहरा –
सरकार नाकारी है.. सिस्टम लचर है.. प्रशासन लापरवाह है.. पुलिस कामचोर है..
सरकार खुद अपने आदेश को सख्ती से लागू नहीं करा पाती।
पटाखों पर प्रतिबंध था लेकिन फिर भी दिवाली पर ख़ूब पटाखे फूटे। नतीजा दिख गया। सत्तारूढ़ भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी की 6 साल पोती पटाखे जलाने में भुलस गई, और उसकी दुखद मौत हो गई। मन दहल गया है। इस घटना का जिम्मेदार शासन, प्रशासन और पुलिस है। पटाखों की दुकाने लगाने वालों से सख्ती से निपटा जाता तो ऐसा ह्रदयविदारक हादसा ना होता।
ये थे समाज के दो रूप। अब पुलिस क्या करे ! सख्ती करे तो भी बदनाम और नर्मी बरते तो भी आरोप।
ये सच है कि दिवाली पर बैन पटाखों से जुड़ी दो ख़बरो की धमक ने सब का दिल दहला दिया। प्रदूषण के जहर से बचने के लिए पटाखों पर पाबंदी की सख्ती और ढील से जुड़ी खबरों ने दिवाली की खुशियों के आसमान पर ग़म के काले बादल दिखा दिया।
ह्रदयविदारक ! 9 साल की ये बच्ची #UPPolice की गाड़ी पर बार बार सिर मार रही है , क्योंकि इस बच्ची दिन-रात मेहनत करके 2वक़्त की रोटी का इंतज़ाम कर पा रहे है।मगर योगी की पुलिस उनको भूखे मारना चाहती है।इस नन्ही सी बच्ची की चीख सुनकर कलेजा फट जाएगा जिसके सामने
घटना #बुलंदशहर की है। pic.twitter.com/vfyKVrCczQ
— Md Shoaib Ansari (@Shoaibab1) November 14, 2020
दिवाली की पूर्व संध्या पर बुलंदशहर की बच्ची को पुलिस की गाड़ी पर सिर पटखते ओर रोते-बिलखते देखा तो मन उदास हो गया। प्रतिबंध पटाखे बेचने के आरोप में उसके पिता को पुलिस पकड़ कर लिए जा रही थी और ये बच्ची गिड़गिड़ाते हुए पुलिस से विनती कर रही थी कि वो उसके पिता को छोड़ दे।
पटाखों को लेकर बुलंदशहर की पुलिस की इस सख्ती की वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो पुलिस की खूब आलोचना हुई। बात मुख्यमंत्री तक पंहुची। मुख्यमंत्री के सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी ने डैमेज कंट्रोल किया। तुरंत बच्ची के पिता को छोड़ा गया और पुलिस ने घर पंहुच कर बच्ची को मिठाई खिलाई।
माननीय मुख्यमंत्री योगीजी ने बुलंदशहर की घटना को बेहद संवेदनशीलता से लेते हुए ना सिर्फ पटाखा कारोबारी को तत्काल रिहा कराया बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों के हाथों उनके व उनकी मासूम बेटी के लिए दीपावली के उपहार व मिठाइयां भी भिजवांईं, pic.twitter.com/9m5TOnSWqk
— Shalabh Mani Tripathi (Office) (@Shalabhoffice) November 13, 2020
बच्ची मुस्कुरा दी, शायद उसके मन में बसे पुलिस के जल्लाद रूप की छवि धुल गई हो।
इस घटना से जुड़े पुलिस के सख्त रुख की छवि तो धुल गई लेकिन उस नर्म रुख की कोई काट नहीं जिसके तहत अंतर्गत पटाखे जलाने से एक बच्ची की जान चली गई।
पुलिस का नर्म रुख ही होगा जब प्रयागराज में प्रतिबंध के बावजूद सांसद रीता बहुगुणा की 6 वर्षीय पोती तक पटाखे पंहुचे। और उसकी जान चली गई।
इन दो दास्तानों के बीच एक बड़ा प्रश्न है। पुलिस सख्त हो तब भी बदनाम और नर्म हो तो भी दर्दनाक हादसों का कलंक उसके ही माथे पर लगे।
अब आप खुद बताइये पुलिस क्या करे ?
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