जुबिली स्पेशल डेस्क
यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन में भले ही उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक करोड़ों की एक्सपायरी दवा पकड़ें,कारवाई करें लेकिन यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के अधिकारी बेखौफ हैं और दवा सप्लायरों को फायदा पहुंचाने के लिये दवा खरीद के लिये मिले बजट के खर्च में धांधली करने से चूक नहीं रहे हैं।
मामला एन एच एम से मिले बजट से दवा खरीद का है। इस बजट को ऐसी दवा की खरीद पर व्यय किया गया है जिसको न तो इस मद में खरीदा जा सकता है और यदि खरीद भी लिया गया है तो इसका उपयोग नहीं होगा और ये दवा एक्सपायर होगी जिससे सरकार बड़े राजस्व का नुकसान होगा लेकिन अधिकारियों को मोटे कमीशन का फायदा जरूर हो गया है।
इस दवा की खरीद के औचित्य पर सवाल इसलिये भी है क्योंकि अस्पतालों में जरुरी सामान्य दवाओं की पूरी आपूर्ति में यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन फिसड्डी साबित हो रहा है।
जानिये पूरा मामला
NHM के अंतर्गत जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) के लिये Free Drugs and consumables में इंजेक्शन इंसुलीन 10 एम एल ( INSULIN HUMAN SOLUBLE with INSULIN HUMAN I-78 NEUTRAL PROTAMINE HAGEDORN : BP – 30%70%40 IU/ml :10ml inj) की खरीद बड़े पैमाने पर करके प्रदेश भर के सीएमओ को भेज दिया जिसका उपयोग प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर होना है। सीएमओ को किये गये आवंटन के आधार पर कुल खरीद रू०799166.55 की गई है। इंजेक्शन इन्सुलीन की खरीद M/S Wockhardt pvt ltd Lucknow से की गई। और सीएमओ को सीएचसी/पीएचसी पर देने के लिये भेज दिया गया।
क्या है निर्देश
जननी शिशु सुरक्षा योजना में Drugs and consumables के अंतर्गत काटन बैंडेज,थान सहित कुछ सामान्य रोगों के लिये दवाओं की लिस्ट है जिसकी खरीद की जाती है जिसे सीएचसी पर सामान्य प्रसव के समय इन्हें प्रसूताओं को दिया जाता है।
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इसके अलावा यदि सीजेरियन का केस होता है तो उसको जिले पर महिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है क्योंकि सीएचसी/पीएचसी पर सामान्यतया एएनएम वगैरह ही रहती हैं गायनोकोलाजिस्ट नहीं रहती हैं और न ही उसके लिये आवश्यक सज्जा वाला आपरेशन थियेटर होता है।
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अब रही बात इंजेक्शन इंसुलीन की तो एक्सपर्ट के अनुसार 10एम एल वाला इंजेक्शन प्रसूता को तब लगता है जब शूगर की समस्या अधिक हो जाय और सिजेरियन करना पड़े। अगर प्रशिक्षित डाक्टर और गायनोकोलाजिस्ट नहीं है तो इसे नहीं लगाया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा खतरा है कि डोज कम अधिक होने से प्रसूता की जान भी जा सकती है।
वैसे भी जो सामान्य प्रसव वाली महिलायें अगर शुगर की मरीज होती हैं तो उन्हें अस्पताल में इलाज के लिये ओपीडी में शुगर के इलाज के लिये रेगुलर दवा या इंसुलीन दी जाती है जो जननी शिशु सुरक्षा योजना का पार्ट नहीं है।
सवाल बड़ा है
यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन सीएमओ की डिमांड पर ही दवाओं की खरीद करके उसी के अनुसार दवा की सप्लाई करता है तो फिर जननी शिशु सुरक्षा योजना में Drugs and consumables के अंतर्गत किन जिलों से डिमांड आई या बिना डिमांड के ही खरीद की गई और जब जननी शिशु सुरक्षा योजना में Drugs and consumables में इंसुलीन देने का कोई प्रावधान नहीं है तो क्यों खरीद की गई? किस अधिकारी द्वारा खरीद की संस्तुति की गई और इसका आधार क्या है।
अब देखना है कि योगी सरकार सवालों के जवाब लेकर जरूरी कारवाई भी करती है या फिर यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन में चल रहे पहले के भ्रष्टाचार के मामलों की तरह इस मामले पर भी कोई कारवाई नहीं होगी।