Thursday - 31 October 2024 - 11:15 PM

एचआईवी पॉजीटिव लोगों की यात्राओं पर इन देशों में प्रतिबंध

जुबिली न्यूज डेस्क

एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम को बेहद कमजोर बना देता है. इसे ठीक करने का कोई कारगर इलाज नहीं है. हालांकि एड्स रोगी के लिए कुछ ऐसी दवाएं जरूर मौजूद हैं, जिसके जरिए से रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है.

एचआईवी पीड़ित लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले मांग कर रहे हैं कि उन्हें सभी देशों में आने-जाने और यात्रा करने की पूरी आजादी हो. आज भी दुनिया में 40 देश ऐसे हैं, जहां एचआईवी पॉजीटिव लोगों की यात्राओं पर किसी ना किसी तरह का प्रतिबंध है. इनमें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे विकसित देश भी हैं, जहां आप्रवासन ना सिर्फ अर्थव्यवस्था का आधार है, बल्कि एक बहुत बड़ी आबादी बाहर से आये लोगों की है.

ऑस्ट्रेलिया में प्रतिबंध जारी

ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में हो रहे एड्स सोसायटी के वार्षिक सम्मेलन में एचआईवी पीड़ित लोगों को वीजा प्रतिबंधों से मुक्ति दिलाना एक बड़ा मुद्दा है. ऑस्ट्रेलिया उन 40 देशों में से एक है जहां एचआईवी पीड़ित लोगों के आने को लेकर कई तरह के प्रतिबंध हैं. पिछले एक दशक में इस दिशा में काफी प्रगति हुई है और कई देशों ने अपने-अपने यहां लगे प्रतिबंध खत्म किये हैं. उनमें अमेरिका भी शामिल है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में प्रतिबंध जारी हैं और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र उसकी आलोचना भी कर चुका है.

किस देश में क्या है स्थिति

एड्समैप नामक संगठन के मुताबिक दुनिया में अधिकतर देश एचआईवी पीड़ित लोगों के आने-जाने को लेकर किसी तरह की पाबंदी लागू नहीं करते हैं, लेकिन जिन 40 देशों में पाबंदियां लागू हैं, वहां उनका स्तर और सख्ती अलग-अलग है.यूएनएड्स ने 2019 में 48 ऐसे देशों की सूची जारी की थी, जहां एचआईवी पॉजीटिव लोगों की यात्राओं पर किसी ना किसी तरह का प्रतिबंध हैं.

ये देश हैः

अंगोला, अरूबा, ऑस्ट्रेलिया, अजरबैजान, बहरीन, बेलीज, बोस्निया हर्जेगोविना, ब्रुनेई, केमैन आईलैंड्स, कुक आईलैंड्स, क्यूबा, डोमिनिकन रिपब्लिक, मिस्र, इंडोनेशिया, इराक, इस्राएल, जॉर्डन, कजाख्सतान, कुवैत, किरगिस्तान, लेबनान, मलयेशिया, मालदीव्स, मार्शल आईलैंड्स, मॉरिशस, न्यूजीलैंड, ओमान, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पराग्वे, कतर, रूस, सेंट किट्स एंड नेविस, समोआ, सऊदी अरब, सेंट विंसेंट, सिंगापुर, सोलोमन आईलैंड्स, सूडान, सीरिया, टोंगा, ट्यूनिशिया, तुर्कमेनिस्तान, टर्क्स और काएकस, तुवालू, यूक्रेन, यूएई और यमन.

एड्समैप के मुताबिक कुछ देशों में पाबंदियां ढीली हैं, यानी वहां एचआईवी पॉजीटिव लोग छुट्टियां मनाने या कम अवधि के लिए तो जा सकते हैं लेकिन वहां रहने और काम करने की इजाजत नहीं होगी.

ब्रुनेई, इक्वेटोरियल गिनी, ईरान, इराक, जॉर्डन, रूस, सोलोमन आइलैंड्स, संयुक्त अरब अमीरात और यमन ऐसे देश हैं जहां एचआईवी पीड़ित लोगों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है.

भूटान, मिस्र, किरगिस्तान, मार्शल आईलैंड्स, सूरीनाम, सीरिया और ट्यूनिशिया ऐसे देश हैं जहां एचआईवी पीड़ित लोग कुछ समय के लिए जा सकते हैं, लेकिन उन्हें लंबी अवधि के लिए जाने की इजाजत नहीं है.

मसलन, दो हफ्ते से ज्यादा समय तक भूटान की यात्रा करने वाले लोगों को यात्रा से छह महीने पहले की अवधि में हुआ एचआईवी टेस्ट दिखाना होता है. वहां पहुंचने पर अधिकारी भी यह टेस्ट कर सकते हैं.

कई देश ऐसे हैं जहां 90 दिन से ज्यादा रहने और काम करने का अधिकार प्राप्त करने के लिए एचआईवी टेस्ट कराना जरूरी होता है. उदाहरण के लिए ऑस्ट्रेलिया में जब कोई व्यक्ति वीजा अप्लाई करता है तो उसे अनिवार्य स्वास्थ्य जांच करानी होती है. अगर उस जांच में व्यक्ति एचआईवी पॉजीटिव पाया जाता है तो उसकी वीजा अर्जी खारिज की जा सकती है.

जहां स्थिति स्पष्ट नहीं

इनके अलावा बहुत से देश ऐसे भी हैं जहां एचआईवी पीड़ित यात्रियों के लिए कानून स्पष्ट नहीं हैं. मलयेशिया, माइक्रोनीजिया, निकारागुआ, नाईजीरिया, कतर, श्रीलंका, सेंट किट्स एंड नेविस, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनाडीन्स और टोंगा जैसे देशों में आने-जाने पर एचआईवी को लेकर किसी तरह के सवाल नहीं पूछे जाते और वहां इसे यात्रा संबंधी मुद्दा नहीं माना जाता.

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बहुत से देशों में कानूनों की स्थिति साफ नहीं है लेकिन वहां एचआईवी पॉजीटिव पाए जाने पर विदेशी नागरिक को निर्वासित भी किया जा सकता है.बहरीन, ब्रुनई, चीन, मिस्र, इक्वेटोरियल गिनी, इराक, जॉर्डन, उत्तर कोरिया, कुवैत, लेबनान, मलयेशिया, ओमान, कतर, रूस, सऊदी अरब, सीरिया, यूएई और यमन में एचआईवी पॉजीटिव पाये जाने पर विदेशी नागरिक को निर्वासित किया जा सकता है.

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने माना है कि एचआईवी पीड़ित लोगों के लिए उसके वीजा संबंधी नियमों में समस्या है. इसी हफ्ते जारी एक बयान में ऑस्ट्रेलिया के इमिग्रेशन मंत्री एंड्रयू जाइल्स ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की प्रवासियों के लिए स्वास्थ्य शर्तें समुदाय की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरतीं.

 

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