नरेंद्र मोदी और अमित शाह के गढ़ में ही पार्टी को मार्केटिंग कंपनी कह दिया गया. बात यहीं नहीं रुकी और इस आरोप के साथ ही गुजरात भाजपा की एक कद्दावर नेता रेशमा पटेल ने पार्टी से इस्तीफ़ा भी दे दिया। रेशमा पटेल पहले हार्दिक पटेल के साथ पाटीदार आंदोलन में जुडी थीं और बहुत प्रभावशाली नेताओं में उनकी गिनती होती थी.
बाद में रेशमा ने हार्दिक पटेल पर कांग्रेसी एजेंट होने का आरोप लगाया और बीते दिसंबर में भाजपा का दामन थम लिया था। उनके साथ पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के कई अन्य नेताओं ने भी भाजपा में एंट्री ली थी. भाजपा में शामिल होने के बाद रेशमा को प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गई थी.
हालांकि रेशमा पटेल भाजपा में सहज नहीं हो सकी और उन्होंने कई मुद्दों पर भाजपा की आलोचना की. इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे की रेशमा के भाजपा में दिन पूरे हो गए हैं.
भाजपा अध्यक्ष के नाम चिट्ठी में उन्होंने लिखा, “भाजपा अब केवल एक मार्केटिंग कंपनी बन गई है और हमें सरकार की फर्जी नीतियों और फर्जी योजनाओं की मार्केटिंग करने और लोगों को मूर्ख बनाने के लिए कहा जा रहा है। मैं लगातार दुख और अन्याय होते देखना नहीं चाहती और इसलिए मैंने खुद को इस तरह के तानाशाही नेताओं की अन्यायपूर्ण साझेदारी से मुक्त कर लिया और जनहित में पार्टी से इस्तीफा दे रही हूं।”
अब रेशमा पटेल का कहना है की वो पोरबंदर से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं. हालांकि उनके पूर्व साथी हार्दिक पटेल अब भले कांग्रेस में शामिल हो चुके हों लेकिन रेशमा अभी इस बारे में कुछ नहीं कह रही . रेशमा ने कहा है की वो फिलहाल किसी दल में शामिल नहीं हो रहीं और बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ सकती हैं.