- सामाजिक क्षेत्र से डाक्टर मंजूषा पांडेय पर दांव लगा सकती है भाजपा..
ओम प्रकाश सिंह
आरक्षण भी कमाल करता है। कलयुग की रामनगरी में रामराज नहीं सीताराज होगा। त्रेतायुग में अयोध्या की सत्ता से निर्वासित जनकदुलारी सीता की प्रतिबिंब मातृशक्ति को आरक्षण ने अयोध्या की सत्ता पर आसीन होने का अधिकार दे दिया।
यह संयोग ही है कि प्रभु राम भी अपने भव्य मंदिर में सीताराज में ही विराजेगें। अयोध्या की सत्ता के सिंहासन पर कब्जे के लिए भाजपा नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं से इतर सामाजिक क्षेत्र से मातृशक्ति का नाम तय कर सकता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर मंजूषा पांडेय के नाम पर राजसी मुहर लग सकती है।
उत्तर प्रदेश के स्थानीय चुनाव में आरक्षण की स्थिति जारी होते ही तय हो गया कि अयोध्या नगर निगम पर मातृशक्ति का राज होगा। राजनीतिक सत्ता सिंहासन पर कब्जे के लिए भगवा व सपाई खेमे में गुणागणित तेज हो गई है।
सपाई खेमे से मुखर महिला नेतृत्व में कुछ गिने चुने नाम हैं लेकिन प्रदेश, केंद्र में सत्ताधारी भाजपा के पास लंबी फेहरिस्त है जिसमें नेताओं की पत्नियां भी शामिल हैंं। इनमें से कुछ पतियों की पार्टी सेवा तो कुछ धनबल के सहारे प्रथम नागरिक का रुतबा हासिल करने के जतन में हैं।
अयोध्या नगरनिगम का जन्म पांच वर्ष पूर्व मोदी योगी राज में हुआ था। प्रथम चुनाव में भाजपा भले ही जीत गई थी लेकिन जनबल के सहारे किन्नर गुलशन बिंदू ने धनबल का मुकाबला करके सत्ता के बत्तीसों दांत कोंठ कर दिए थे। भाजपा भी जानती है कि उसकी जीत का राज क्या था।
इस बार भाजपा के लिए चुनौती और कड़ी है। विकसित होती अयोध्या के लिए ध्वंस का दंश भी उसे डसेगा। मंदिर निर्माण के संदर्भ में सड़क चौड़ीकरण के लिए बुलडोजर चल रहा है। प्राचीन मंदिरों के साथ दुकान मकान भी गिर रहे हैं।
भाजपा के रणनीतिकारों को अहसास है कि नाराज जनबल को पाले में करने के लिए सर्व स्वीकार चेहरा लाना होगा, तभी राम भी नैया पार लगाएंगे। बीजेपी महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्र की पत्नी पुनीता मिश्र, शरद पाठक की पत्नी अनीता पाठक, मिंटू प्रधान की पत्नी माया दुबे, पूर्व जिला पंचायत सदस्य डिप्पुल पांडेय की पत्नी आशा पांडे के साथ बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष अशोका द्विवेदी के नामों की दावेदारी है।
सूत्रों के अनुसार इन नामों में अशोका द्विवेदी की दावेदारी गंभीर है। कांग्रेस से भाजपा में आए अयोध्या के प्रतिष्ठित तिवारी मंदिर के मंहत गिरीशपति त्रिपाठी की पत्नी की दावेदारी को नकारने पर भाजपा को मानमनौव्वल करना पड़ सकता है।
भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री ममता पांडेय की बड़ी बड़ी गगनचुंबी होर्डिंग्स रामनगरी में लग गई हैं। ममता पांडेय सरकारी सहायता प्राप्त अयोध्या के आलीशान होटल रामायण की मालकिन भी हैं।
इन्हें टिकट मिला तो चुनाव में धनबल चोकरेगा। वर्तमान महापौर ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन तमाम आरोपों के बाद भी उनकी दावेदारी क़ हल्के में नहीं लिया जा सकता है। महापौर के टिकट के लिए जितने भी नाम भगवा खेमे से सामने आ रहे हैं उनमें हर किसी के साथ कोई नुस्ख भी दूसरे दावेदार जड़ दे रहे हैं।
अयोध्या नगरनिगम पर वर्चस्व के लिए भाजपा से ज्यादा संघ चिंतित है। विधानसभा के चुनाव में भी अयोध्या सीट पर भगवा लहरा सका था तो उसके पीछे संघ की ही रणनीति थी। सूत्रों के अनुसार महापौर टिकट के लिए आए तमाम दावों को परखने के बाद यह तय हुआ कि ऐसा चेहरा सामने लाया जाए जिस पर विपक्ष भी आरोप ना लगा सके।
डाक्टर मंजूषा पांडेय की सामाजिक स्वीकार्यता को देखते हुए भाजपा उन्हें अपना खेवनहार बना सकती है। कौन बनेगा अयोध्या का मेयर यह तो चुनाव बाद ही तय होगा लेकिन यह तय है कि रामनगरी में अब कम से कम अगले पांच वर्ष के लिए सीताराज ही होगा।