जुबिली न्यूज डेस्क
देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से एक बार फिर बढ़ता जा रहा है। जैसे जैसे तापमान बढ़ रहा है वैसे वैसे कोरोना का संक्रमण भी तेजी से बढ़ रहा है। इस बीच शोधकर्ताओं ने इस साल पड़ने वाली गर्मी को लेकर नए दावे पेश किये हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बार की गर्मी भी जानलेवा साबित हो सकती है। उनके मुताबिक इस साल भयानक गर्मी पड़ेगी और दक्षिण एशियाई देशों में जानलेवा लू का प्रकोप भी देखने को मिलेगा।
ये शोध अमेरिका स्थित ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी सहित विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। इस शोध में वैज्ञानिकों ने ये दावा किया है कि इस बार भीषण गर्मी की वजह से भारत के खाद्यान्न उत्पादन करने वाले बड़े क्षेत्रों पर भी असर पड़ेगा।साथ ही भयानक पड़ने वाली गर्मी से काम करने में भी समस्या आएगी। यही नहीं इस बार तेज गर्मी में काम करना भी काफी असुरक्षित साबित होगा।
यही नहीं शोध में ये भी सामने आया कि गर्मी के कारण जिन जगहों पर सबसे ज्यादा काम करने में दिक्कत आएगी, उनमें उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। साथ ही तटीय इलाकों में कोलकाता, मुंबई और हैदराबाद जैसे शहरी इलाके भी शामिल हैं, इन जगहों में गर्मी में काम करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ेगा।
शोध में इस बात का भी दावा किया गया कि दक्षिण एशिया के देशों में संकट हर साल गहराता जा रहा है। ऐसे में अगर इससे बचना है तो तापमान वृद्धि में नियंत्रण करने की कोशिशों पर ज्यादा जोर देना पड़ेगा। जब तक तापमान को नियंत्रित नहीं किया जाएगा तब तक इस तरह के खतरों से बच पाना मुश्किल है।
मौजूदा हालात को देखते हुए दक्षिण एशियाई देशों को अभी से इस दिशा में काम करना शुरू कर देना चाहिए।इस काम में देरी खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।
शोध में सामने आया कि इस समय जो तापमान देखने को मिल रहा है उसके मुताबिक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि इन इलाको में गंभीर प्रभाव डालेगी। इसलिए मौजूदा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की ज्यादा जरूरत है। तापमान की वृद्धि होने से दक्षिण एशिया में जानलेवा लू चलने लगेगी।
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गौरतलब है कि 32 डिग्री वेट बल्ब टम्प्रेचर को मजदूरों के लिए असुरक्षित माना जाता है। इसके 35 डिग्री पर पहुंच जाने पर इंसान का शरीर खुद को ठंडा नहीं रख पाता और ये ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।