जुबिली न्यूज़ डेस्क
आज पूरे देश में गणतंत्र दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज देश अपना 72 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस खास मौके पर दिल्ली के राजपथ पर देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद तिरंगा फेहराकर परेड को सलामी दी। लेकिन इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनो में खास होगा। दरअसल कोरोना महामारी की वजह से देश के 72 वें गणतंत्र दिवस पर इस बार कोई भी विदेशी मेहमान बतौर मुख्य अथिति मौजूद नहीं होगा।
ऐसा पिछले पांच दशकों में पहली बार हो रहा है कि इस बार कोई मुख्य अतिथि के रूप में शामिल नहीं हो रहा है। पहले भारत की ओर से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को न्योता भेजा गया था।
कोविड की वजह से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के अंतिम मौके पर समारोह में न आने के फैसले के बाद भारत ने विदेशी मेहमान को न्योता न देने का मन बना लिया था। जॉनसन का दौरा रद्द होने के बाद यह चौथा मौका है, जब 26 जनवरी पर कोई विदेशी मुख्य अतिथि नहीं होगा।
दरअसल, पिछले पांच दशकों में पहली बार ऐसा हो रहा है जब कोई राष्ट्राध्यक्ष 26 जनवरी की परेड देखने नहीं आ रहे हैं। आप को बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं जब कोई विदेशी मेहमान गणतंत्र दिवस पर शामिल नहीं हो सका है। इससे पहले तीन बार ऐसे मौके आए हैं जब कोई विदेशी मेहमान शामिल नहीं हो सके।
इससे पहले सन 1952, 1953, और 1966 में भी गणतंत्र दिवस की परेड में कोई विदेशी मेहमान शामिल नहीं हो सके थे। सन 1966 में 11 जनवरी को लाल बहादुर शास्त्री के अचानक निधन के बाद 24 जनवरी को इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
गौरतलब है कि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था और इस दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश की राजधानी में राजपथ पर देश की सैन्य ताकत के साथ सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया जाता है। परेड में हर बार एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को चीफ गेस्ट बनाने की परंपरा रही है। कुछ ऐसे भी मौके आए जब एक से अधिक मेहमानों को बुलाया गया।
ये भी पढ़े : कुछ बदली बदली सी नजर आई इस गणतंत्र दिवस की झांकी
ये भी पढ़े : Tractor Rally VIDEO: राजपथ पर परेड के बीच दिल्ली में किसानों का हल्लाबोल
बता दें कि गणतंत्र दिवस में किसी भी मुख्य अतिथि का आना काफी अहम होता है। मुख्य अतिथि कौन होगा इस पर महीनों विचार-विमर्श होता है। इसके बाद भारत उस देश को चीफ गेस्ट के तौर पर चुनता है, जिसके साथ भारत या तो अपनी दोस्ती को और मजबूत करना चाहता है या फिर उसके साथ दोस्ती शुरू करना चाहता है। सबसे अधिक पांच बार फ्रांस अब तक गणतंत्र दिवस में बतौर मुख्य अतिथि आ चुका है।